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________________ ६६२ [२९६८ नेमिनाहचरिउ [२९६८] तयणु केसवु मुणिय-परमत्थु दूरुज्झिय-पाव-मणु भणइ पुरउ सिरि-नेमिकुमरह । जह – वंधव जइ-वि तुहं पगइ-विमुह विसय-सुह-पसरह ॥ तह-वि हु मह सुहि-सयणहं वि उवरोहिण कु-वि कालु । विसय-सुहई रज्जिण सहिय नेमि कुमर परिवालु ॥ . [२९६९] एम्ब पुणु पुणु हरिहि भणिरस्सु पहु हरिहि पियाहिं सह निश्चियारु बहुविह-विणोयहि । परिकीलइ अवर-दिणि भणिउ कण्हु जायविहि सयलिहि ।। समुदविजय-नरनाहिण वि तह सिरि-सिवदेवीए । करिसु तहा जह उज्जमइ नेमि-विवाह-विहीए ॥ [२९७०] ता विसेसिण भणिय कण्हेण सिरि-रुप्पिणि-जंववइ- सच्चहाम-पमुह य स-भारिय । नणु कहमवि उज्जमह तह हवेह जह कज्ज-कारिय ॥ ताउ वि केलि कुणंतियउ भणहि वयण स-वियार । सामि वि गहिर-पयंपिइहिं ताहं करेइ निवार ॥ [२९७१] अवर-अवसरि मुसलि-सुय निसढनरनाह-अंगुब्भविउ विमल-सयल-लक्खणिहि जुत्तउ । सिरि-सायरचंद-अभिहाणु कमलमेलाए रत्तउ ॥ वंचेविणु महसेण-निवु परिणाविउ संवेण । इय जायंतिण तम्मि कुलि वहु-वुत्तंत-सएण ॥ २९६९. ५. क. सयलि वि. २९७०. ८. भामिवि. ____Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002610
Book TitleNeminahacariya Part 2
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1971
Total Pages318
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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