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________________ ६४१ २८७५ ] कण्हजरसंधविग्गहु [२८७२] इय ति सबल-सेल्ल-वावल्ल असिधेणु-कराल-करवाल-कुंत-मुग्गर-मुसुंढिहिं । अवरेहिं वि आउहिहिं दुहिं-वि वलिहिं कय-सत्त-वेढिहिं ॥ जुझंतिहिं छाइउ गयणु भरिय धरणि नीसेस । करयल-कय-असि पडिय-सिर नच्चहिं सुहड-विसेस ॥ [२८७३] वहहिं रुहिरिण महिहिं सरियाउ भड-वयण-सरोय-धर फुरहिं भूय-वेयाल-साइणि । पसरंति य घूय-सिव- सद्द दिणि वि विप्फुरहिं डाइणि ॥ एक्केण वि मगहाहिविण धंधोलिउ हरि-सेन्नु । तह कहमवि जह कंचि खणु हुयउ अईव विवन्नु ॥ [२८७४] तयणु किं-चि वि फुरिय-संतोसु पडिवक्ख-विक्खोह-कइ उज्जमंतु कय-सत्तु-आवइ । आऊरइ गहिर-सरु संख-रयणु जरसंधु नरवइ ॥ तमु पडिसद्दिण विहुर-मणु सयल वि जायव-वग्गु । रक्खि रक्खि पहु इय भणिरु हरिहि पएमु विलग्गु ॥ [२८७५] ता खुरुप्पिण छिन्न झय-चिंध जरसंधह केसविण अह सु हुयउ सविलक्ख-माणसु । सीसं पिव महि-वडिउ दद्ध छत्तु झउ चिंधु स-कलसु ॥ तयणु पयंपिउ केसविण ईसि ईसि हसिरेण । नणु हउं तरुणउ वूहु तुहुँ इय किं तुह समरेण ॥ २८७२. ५. क. वलिहि. ६. क. जुझंतिहि. २८७३. १. क. सरियाओ. ९. क. अइंव. २८७५. २. क. ह only for जरसंधह; ख. जरसंध. ४. क. चडिउ. ____Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002610
Book TitleNeminahacariya Part 2
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1971
Total Pages318
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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