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कण्हजरसंधविग्गहु
[२८४०]
एहु निसुणिवि तह पलोएउ रण-महिहिं अणेग-भड दुसह-घाय-निवडंत-कंधर । सच्चविवि कयंत-सम उभय-वलिहिं संकड वसुंधर ॥ करुणा-रस-परिसित्त-तणु निक्कारण-वच्छल्लु । नेमि-कुमारु समाणवइ सुर-सारहि नियइल्लु ॥
[२८४१] ___ अहह सुंदर दिव्वु रह-रयणु पिल्लेसु विवक्खियह पहरमाण-निवईण मज्झिण । मा अ-सरण मरहुं इहि करुण-रहिय-केसवह हस्थिण ।। हउं पुणु साहिसु तह कह-वि जह वियलंत-मरट्ट । सेव पवज्जहिं अइरिण वि पयडिय-सज्जण-वट्ट ।
[२८४२]
तयणु जो किर तियस-नाहेण कंपंत-सीहासणिण अवहि-मुणिय-तत्तिण रणंगणि । पेसवियउ दिव्यु रहु आसि नेमि-कुमरस्सु तक्खणि ॥ सो तमु वयणिण मायलिण चोइउ रिउ-मज्झेण । अह आऊरिउ घण-गहिरु संखु नेमि-कुमरेण ॥
[२८४३]
तह करेविणु करणु वइसाहु अप्फालिउ दिव्यु धणु- रयणु तयणु टंकार-सदिण । संखस्सय-पडिरविण तह य नेमि-कय-सीहनाइण ॥ आकंपाविउ महि-वलउ ढलिय सिहरि-सिहराई । सयलि वि जल-निहि झलझलहिं निवडहिं धरणि घराइं ॥ २८४१. ९. क. सद्द.
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२८४३. ७. क. टलिय; ख. पलिय. ९. धरणियराइं. ८०
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