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नेमिनाहचरिउ
[२७२५]
विमल-लक्खण-चित्त-कतिल्लु जय-असरिस-रूव-धरु हुयउ तणउ तसु काल-जोगिण । संवु त्ति पयडियउं नामु भुवण-असमाण-रिद्धिण ॥ सच्चाए वि-हु निय-समइ गयह कण्ह-सविहम्मि । सेविय-विसयह हुयउ सुउ भीरु नामु सु-दिणम्मि ॥
[२७२६]
अह ति वुढिहि जति सव्वंगु सह जणय-मणोरहिहिं किंतु संवु पज्जुन्न-विरहिण । रइ न लहइ खणु वि इय संति दो-वि ते गरुय-नेहिण ॥ अवरम्मि उ अवसरि हरिहि वयणिण रुप्पिणि देवि । कुडिणि-नयरिहिं गंतु अइवाहइ वासर के-वि ॥
[२७२७]
पत्ति अवसरि भणइ पुणु रुप्पिनरनाहह सोयरह पुरउ - भाय महु सुयह वियरसु । वेयब्भी नाम निय धूय तयणु पसरंत-अमरिसु ॥ रुप्पि पयंपइ - तइयहं वि अम्हहं तुह अवहारि । तं तारिसु अवमाणु हुउ ता इह कह-वि निवारि ॥
[२७२८]
जइ वि वियरहुं धृय वेयब्भि मायंगहं तु-वि न तुह सुयह तस्सु पज्जुन्न-नामह । ता रुप्पिणि निय-पुरिहिं गंतु मुत्त मज्झम्मि धामह ॥ चिठेइ य निरु नीससिर भोयणं पि अ-कुणंत । ता सुय-पच्छिम-वइयरिण पज्जुन्निण संलत्त ॥ २७२७. ५. क. अमरिस. २७२८. १. क. वियरहं.
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