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________________ ६०८ [२६३० नेमिनाहचरिउ [२७१७] तेसि जायउ काल-जोगेण सिरि-विस्सगुसेण-इय- नाम-पयडु सुय-रयणु नहयरु । जंववई नाम पुणु धृय-रयणु जय-तरुण-मणहरु ॥ तीसे उण रूवाइ-गुण भणिउन सक्कइ कोइ । आ-जम्मंति वि विहि-वसिण सहस-मुहु वि जइ होइ ॥ [२७१८] एम्ब नारय-चयण-संजणियअणुरायाउर-मणिण हरिण जंववइ-तरुणि मग्गिय । खयरिंदह तसु पुरउ तिण वि गरिम अ-मुइवि निसग्गिय ॥ भणिउ - अरिरि गोवाल तुहुं मग्गंतउ मह कन्न । नूण हसावसि धरणियलि गयणयले वि स-कन्न ॥ [२७१९] जइ वि गरुउ खरउ खरु होइ भुवि जुग्गु न सीहिणिहि इय मुणेवि मा करि असग्गह । इय खयराहिव-वयणु निमुणिऊण मुहि-सवण-दुस्सहु ॥ कण्हु अणाहिट्टिण सहुं रणि विजिउण खयरिंदु । परिणइ जंववई-तरुणि वियसिय-मुह-अरविंदु ॥ [२७२०] कमिण पत्तउ गरुय-रिद्धीए सिरि-वारवइहिं पुरिहिं तयणु जंववइ-तरुणि-रयणह । आवास वियरेइ हरि संनिहाणि रुप्पिणिहि भवणह ॥ जंववई वि-हु रुप्पिणिहिं सह वइ नेहेण । अवर-दियहि सच्चहं भणिउ हरिहि सविहि विणएण ॥ २७१७. २. क. विस्सगुणसेण; ८. क. आजमि वि. २७१९. ८. क. जंबुवई; ख. missing. ____Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002610
Book TitleNeminahacariya Part 2
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1971
Total Pages318
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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