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गयणयलह अवयरिउ
इहु पवन
नेमिनाeafte
[२६४९]
अमुत्तय-नामु रिसि अह वंदेविणु पय-पउम मह हविहइ उ इय कहसु
ति वि इत्तो य चाउनाणि सच्चविय - तिहुयणु ।
पवरु आसणु ॥ • मुणिंद |
तयणु दिन्नु त रुप्पिणि भणइ जय-नय-पय- अरविंद ॥
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[२६५० ]
नूण ears tय मुर्णिदेण
संलत्ति सच्च वि भणइ सा महरिसि पुणु गयउ साहिउ मह चेव य मुणिहिं कहहिं ताउ परुष्परिण
[ २६५१] ता भणइ सच्चहामा अंगरुहो जीए हविहए पढमं । सा निय- नंदण - वीवाह - ऊसवे जायमाणम्मि ॥
मह विक हविइ नंदणु । तं जि भणिवि मंडिरु नहंगणु ॥ नंदणु इय भणिराउ । दो - वि-हु हरि दाउ ॥
[२६५२] करिह इयरी-केसेहिं डब्भ-कम्माई निरवसेसाई । इय पडिवज्जिय दुह वि कण्हं चिय लिंति सक्खिणयं ॥
स- मुहम्म पविसिरु बसहु ता केसवु भणइ - सुयसच्च वि अन्नयरम्मि दिणि मुर-रिउ त वि
तयतरु
[२६५३]
अवर- अवसर निसिहिं सुह-सुत्त
हविइ.
२६४९. ४. क. अइमुत्त; ८. क. २६५०. ६. क. चेव य अ ७. क. भणिराओ.
[ २६४९
नियवि कहइ कण्हस्सु रुपिणि । रयणु तुझ हविहे भामिणि ॥ अलिउ सिविणु साहेइ । सुय - उपपत्ति कइ ॥
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