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नेमिनाहचरिउ
[२६४१]
ईसि विहसिरु भणइ हरि - सुयणु सव्वं पि सुंदरु करिसु किंतु एत्थ मोणावलंविण । चिट्ठिज्जसु सिरि-घरह मज्झि जाव हउं एमि वेगिण ॥ ता रुप्पिणिहिं तहा कयइ हरि गउ निय-आवासि । अह पुच्छिउ सच्चई - सुहय मह निय-दइय पयासि ॥
[२६४२]
ता पयंपइ कण्हु - नणु सुयणु पुरि-उववण-मज्झ-ठिय- लच्छि-देवि-देउलह सविहि । सा चिट्ठइ उत्तरिय इय निएह नियएहिं नयणिहि ॥ ता किं-चि वि कोऊहलिय किं-चि वि सामरिसाउ । गच्छहिं उववणि हरि-दइय सच्चहाम-पमुहाउ ॥
[२६४३]
न उण पेक्खहिं कहिं वि सा वाल ता पविसहि सिरि-घरह मज्झि तयणु सच्चवहिं रुप्पिणि । नणु एस नमंत-जय
सुहय सिरि ति चिंतिउण निय-मणि ॥ भत्तिहिं निय-कर-पल्लविहिं करिवि पूय-सक्कारु । तमु चलणिहि निवडिवि कुणहिं गहिर-सरिण नवकारु ॥
[२६४४]
पाणि-संपुडु धरिवि सिर-उवरि जंपति सव्वायरिण देवि देवि पसिऊण पणयहं । सोहग्गिण रूविण वि हीण कुणसु रुप्पिणि स अम्हहं ॥ ओयाइय-पूरणिण पुणु घुसिण-पल-स्सउ एगु । देसउं तह सयलाहरण- सहिउ पूय-अइरेगु ॥ २६४२. ७. क. सामरिउ. ९. क. पमुहाओ.
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