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नेमिनाहचरिउ
[ २६२२
[२६२२]
भणइ पुणु - तह कह-वि तुहुं कुणसु जह अइरिण संघडइ मज्झ भुवण-माणिक्कु इहु पिउ । तयणंतरु रुप्पिणिहि रूवु लिहिवि केसवह दंसिउ । तह कहमवि अक्खिय-गुण वि जह मुरारि संवु । तरुणीरयणह रुप्पिणिहि तणु-संगमि अणुरत्तु ॥
[२६२३]
तयणु रुप्पिहि निवह पासम्मि तं मग्गइ स-पुरिसिहि किंतु भणिउ रुप्पिण स-कोविण । संवंधु कु हवइ नणु अम्ह-समगु तई हीण-जाइण ॥ कहिं सीहिणि वेसरु व कहिं कहिं वलाहु कहिं हंसि । निवइ-कुलुब्भव एह कहिं कहिं सु गुयालहं वंसि ॥
[२६२४]
अवि य दिन्नी एह चिठेइ दमघोस-नराहिवइ- नंदणस्सु रिउ-कुल-विधायह । सोहग्गि-सिरोमणिहि पुहइ-तिलय-सिसुपाल-रायह ॥ इय जइ-वि-हु कहमवि सु इह मग्गइ नरु वाचालु । तह-वि न जायइ रुप्पिणिहि दइउ कण्हु गोवालु ॥
[२६२५]
एहु रुप्पिहि वयणु निसुणेवि खण-मित्तिण गंतु रहि अंव-धाइ रुप्पिणिहि साहइ । तयणंतर तहि पुरउ भणइ वाल - मई मयणु वाहइ ॥ सउरि-सुयह विरहम्मि पुणु जइ मह लग्गइ अंगि। जलणु च्चिय इय चितवसु कु-वि उवाउ तमु संगि ॥ २६२३. ३. क. रुप्पिणि. ८. क. कुलब्भव. २६२४. ८. क. रुप्पिहि; ख. रुणिहिं. २६२५. ४. क. तहिं. ८. क. ख. चित्तवसु
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