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________________ [२६१४ ૧૮૮ नेमिनाहचरिउ [२६१४] __नेमि-कुमरह सील-सम्भावु अवलोइवि रत्त-मण जउ-कुमार अक्कूर-पमुह वि । तसु सन्निहि गुण-गहण- एग-हियय न मुयंति खणमवि ॥ जे वह-गुण जे पंडिया जे मुणि-किरियासत्त । ते विन नेमि-हियय-कमलु खणमवि मुयहिं निरुत्त ॥ [२६१५] अह निएविणु नेमि-कुमरस्सु सव्वंगिय-सुहय-गुण- रासि असम-संतोस-भरियउ । सयलेहिं वि जायवेहिं समुदविजय-नरनाहु सहियउ । पुहइ-पहाणहं नरवइहिं धूयउ सयलि वि देसि । अवलोयइ सव्वायरिण नेमि-कुमारह रेसि ॥ [२६१६] नेमि-कुमरु वि विजिय-कंदप्पमहाप्पु न परिणयण कह-वि कुणइ भव-भाव-विमुहउ । चिटइ य निवेसिउण नाण-नयणु सिव-गइहि समुहउ ॥ पेच्छंतउ संसारियहं विविह विडंवण लोइ । भन्नंतु वि विसइय-सुहहं कह-वि न समुहीहोइ ॥ [२६१७] एत्थ-अंतरि गयण-मग्गेण परिवायग-वेस-धरु दढहिमाणु नारउ पहुत्तउ । तहिं सच्चहामह सविहि तीए अ-कय-भत्तिउ कु-चित्तउ ॥ चिंतइ - अहह निलक्खणिय इह मह कुणइ न भत्ति । ता मेलिसु एयह अहिय- रूव-समिद्धि सवत्ति ॥ २६.१५.६. क. पुहई. ____Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002610
Book TitleNeminahacariya Part 2
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1971
Total Pages318
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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