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नेमिनाहचरिउ
[२४९२] जुझं च होइ चउहा वाया-दिट्ठी-निजूह-सत्थ-मयं । मोत्तूण सत्थ-जुझं पहाण-जुज्झाइं इयराई ॥
[२४९३] मल्लाण निजूह-मयं वाया-जुज्झं तु होइ वाईणं । सत्थ-मयं अहमाणं उत्तिम-पुरिसाणं दिहि-मयं ॥
[२४९४] एयम्मि मल्ल-जुज्झे कय-करणो चेव एस चाणूरो । अहयं तु अकय-करणो इय पेच्छउ अंतरं लोगो ॥
[२४९५]
इय निरिक्खिवि हरिहि पागब्भु अइ-भीउविग्ग-मणु कंसु दुट्ठ-दिट्ठीए तोरिवि । वियइज्जउ हरि-हणण- हेउ खिवइ मुट्ठियग-मल्लु वि ॥ ता उठेंतउ दटु रिउ हलहरो वि वेगेण । निय-मंचह उत्तरिवि हरि- सविहिहिं गयउ खणेण ॥
[२४९६]
पक्खि एगहं कण्ह-वलएव स-परक्कम-विजिय-जय इयरि मल्ल चाणूर-मुट्ठिग । दछु वग्गिर धाविर वि परिफुरंत-गुरु-रोस-दिद्विग ॥ चारिण सह जुडिउ हरि हलहरु पुणु इयरेण । आकंपावहिं जगु वि पवि- गरुय-मुट्ठि-पहरेण ॥
[२४९७]
दलहिं महियलु दढ-चवेडाहिं अप्फालहिं वक्करिय उरयलेसु पहरहिं विवक्खिहि । खोहेहिं रंग-जणु पिसुण-हियय सल्लवहिं दुक्खिहि ॥ अह चाणूरिण लहिवि लहु तह हरि हयउ उरम्मि । जह विहलंघलु परिखिवइ नयणई दिसि-विवरम्मि ॥
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