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________________ २४९१ ] नवमभवि मुहिगचाणूरवहु [२४८८] इय सुणंतउ सवण-दुह-जणय चाण-मल्लह वयण फुरिय-रोस-बस-अरुण-लोयणु । निय-मंचह उत्तरिवि गुरु-पयाव-अहरिय-विरोयणु ॥ सीह-किसोरु व वण-करिहि तरणि व तिमिर-भरस्सु । रंग-महिहिं समुहीहुयउ कण्हु तस्सु मल्लस्सु ॥ [२४८९] गयणु फुडइ व धरणि विहडइ व उल्ललइ व रयण-निहि कणय-सिहरि व पडइ उविंदह । पय-पहर-प्पडिरविण आसणं पि चलइ व सुरिंदह ॥ इय अवइन्नउ कण्हु रण- रंगि निरिक्खिवि लोउ । अन्नुन्नेण समुल्लवइ किं-चि पयासिय-सोउ ॥ [२४९०] पीण-खंधरु सुदढ-भुय-दंड कय-करणु चाणूरु इह एहु कण्हु पुणु वालु अज्जु वि । इयइ-महल्ल-काउ खमु हवइ कह-वि धुवु जुज्झ-कज्जु वि ॥ इय लोयहं वयणइं सुणिवि पभणइ कंसु स-कोवु । अरि लोयहु किं एहु मइं इह हक्कारिउ गोवु ॥ . [२४९१] दुद्ध-पाणिण मत्तु जइ एहु । उप्फिडिउण पडइ इह ता पडेउ किं तुम्ह सत्तिण । इय वयणु कंसह सुणिवि ठिउ लोउ मोणावलंविण ॥ तयणंतरु गहिरक्खरिहिं जणह समुहु कण्हेण । भणिउ - दलिज्जहिं महिहर वि कि न लहुइण वज्जेण ॥ २४८८. ३. क. 'लोयण. २४८९. ४. क. पहरह. २४९०. २. क. चाणूर; ४. क. अमहल्ल; ८. क इहु. २४९१. ८. क. महिहरि. ____Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002610
Book TitleNeminahacariya Part 2
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1971
Total Pages318
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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