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________________ ५५१ २४५१ ] नवमभवि सच्चहामसयंवरु [२४४८] धणु-चडावण-महि समारद्धि नाणाविह-मंडलिय- सचिव-सेट्ठि-सत्थाह-पुत्तय । तसु कंसह घर-अजिरि . विहिय-चारु-सिंगार पत्तय ।। इय निसुणिवि सोरिय-पुरह नयरह चलियउ ताई। पयडु अणाहिहि ति सुउ सउरि-मयणवेगाहं ॥ [२४४९] वसिउ पुणु वलएव-सविहिम्मि तहिं गोउलि गोसि पुणु अग्गिमम्मि मग्गम्मि चलियउ । अब्भत्थइ पुणु वलह सविहि कण्हु साहज्जि वलियउ॥ तेण वि वियरिय अह ति दु-वि गच्छहिं अग्गिम-मग्गु । ता नग्गोह-महदुमहं साहहं तहं रहु लग्गु ॥ [२४५०] अह विवन्नउ हुउ अणाहिट्टि अ-तरंतु खेडेउ रहु तयणु फुरिय-पोरिसिण कहिण । उम्मूलिउ सयल दुमु पहरिऊण वाम-पय-पण्हिण ॥ इय वंधुहु वलु परिकलिवि सु मयणवेगह पुत्तु । पमुइय-मणु कण्हेण सहुं चाव-हरम्मि पहुत्तु ॥ [२४५१] ___ अह ति देक्सहिं दो-वि कोदंड मणि-कंचण-मंडियउ गुरु-पहावु देवय-अहिहिउ । पणवन्न-रयणिहिं घडिय वेइयाइ उवरि प्पइट्ठिउ ॥ तह घण-चक्कल-पीण-थण धणुहह सविहि वइ । स-नरामर-मण-मोहणिय सच्चहाम तिहिं दिह ॥ २४५० ४. सलु for सयलु. Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002610
Book TitleNeminahacariya Part 2
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1971
Total Pages318
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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