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રૂટ
नेमिनाearts
[१४७] पयंपिरिचत्त दक्खिणि
इय
निय-बंधवि फुरिय- दुहु मधु सह घरिण तो वि न मन्नइ मह वयणु स-पियहि हरिय-विवेउ । अहवन विडिउको विहिण बहु-विहु दाविय - खेउ ॥
सीहु लग्गु स-मणिण वियपिउ ।
भवण सारु सयलु वि समप्पि ||
[१४८] अह महिलहं किं पि माहपु सोयराणमवि इह हरावहिं । विलिय-सयई अगहुँत दावहिं || भोयण- विणु असुईउ ।
चिर-रुदु जि नेह-भरु निय बुद्धि पयडिउण महरा - विरहिण मय - जणय निद-विगि वि मोह-यर तिय कसु दिति रई उ ॥
दुग्गम्म गिरि-मग्गह निरु दुत्तर जलहिणो वि इक होंति भवोयहिहिं दुम्मइ-पवण-पणोल्लिय जि
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[१४९]
तरुणि तिक्खिय निसिय-असिणो वि
हियय - डाह - जणणिय दवाउ वि । चल - चरिय सरयन्भयाउवि ॥ तरुणि-तरंड - सुहत्थु | कुणहिं पाणि अ-कयत्थु ॥
[१५० ]
इय विसूरिवि स घरु घर - सारु
सो वियरेविणु बंधवह विवेइ य बहु विहवु
अह त कित्ति समुल्लसिय अवजसु सुणिवि पियस्सु । जंपर मयणस्सिरि हय व नज्जइ दइय अवस्सु ॥
जाइ सी अन्नत्थ कत्थवि । वसई पंच- दियहाणि जत्थवि ॥
१४७. ८. क. अह.
१४८. २. क. ख. ज.
१४९. १. क. निरिक्खिय. ५. क. ब्भयाओ वि.
१५०. ८. क. हयय.
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