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________________ ३२ [१२३] अन्न- वासरि खुहिय-खोणि-यलसुहड- रयण-संदण - सहस्रिण | नियय- वलिण बहु-संख-लक्खिण || गच्छंतर उज्जाण - वणि सुइ गहिरु पडिसद्दु । तय विres निय-मणिण कुमरु सु भाविय-भद्दु ॥ बहु-गंध-सिंधुर-तुरयआऊरिय-धरणि-यलु परंत- मेह-ज्झणि व वण-वारण गज्जिउ व वहिरिय- -धर - गिरि-गयणयल तियसासुर-नर- खयर-वर [१२४] अहह किं एहु अमर-गल-गज्जि ता मुणेविणु धणएव धणदत्तएहिं सु-विणिच्छित्रि तत्तु लहु भूसिउ बहु- मुणि-परियरिउ चिgs तियसासुर - सहहं नेमिनाeafte १२३. ३. दंसण. १२५. ८. क. सं. Jain Education International 2010_05 तयणु गुरु-हरिस- पुलयं कुरिउ परिमन्निरु सुकय-फल जा गच्छइ केत्तिय विपय ता विक्कमघण - अंगरु [१२५] खुहिय- जलहि- गंभीर-रावु व । तियस पहय- दुंदुहि निनाउ व ॥ जं सुम्मइ निग्घोसु । तरुणि जणिय-संतोसु ॥ - मणु कुमरस्मु कुमर - लहुय-बंधुहिं खणद्विण | भणिउ - भाय उसम समिणि ॥ भविय भमर अरविंदु | धम्मु तु दु । [१२६] वियसिय-वयण - तामरसु #1 सहि-विहिय- निय-सार- परियणु । विह जम्मु जीविउ स-सुहि-यणु पसरिय-मण- कल्लोलु । पेक्खर संजम - लोलु ॥ -For Private & Personal Use Only [१२३ www.jainelibrary.org
SR No.002609
Book TitleNeminahacariya Part 1
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1970
Total Pages450
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size16 MB
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