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[१२३] अन्न- वासरि खुहिय-खोणि-यलसुहड- रयण-संदण - सहस्रिण | नियय- वलिण बहु-संख-लक्खिण ||
गच्छंतर उज्जाण - वणि
सुइ गहिरु पडिसद्दु ।
तय विres निय-मणिण कुमरु सु भाविय-भद्दु ॥
बहु-गंध-सिंधुर-तुरयआऊरिय-धरणि-यलु
परंत- मेह-ज्झणि व वण-वारण गज्जिउ व वहिरिय- -धर - गिरि-गयणयल तियसासुर-नर- खयर-वर
[१२४]
अहह किं एहु अमर-गल-गज्जि
ता मुणेविणु धणएव धणदत्तएहिं सु-विणिच्छित्रि तत्तु लहु भूसिउ बहु- मुणि-परियरिउ चिgs तियसासुर - सहहं
नेमिनाeafte
१२३. ३. दंसण. १२५. ८. क. सं.
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तयणु गुरु-हरिस- पुलयं कुरिउ परिमन्निरु सुकय-फल जा गच्छइ केत्तिय विपय ता विक्कमघण - अंगरु
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खुहिय- जलहि- गंभीर-रावु व । तियस पहय- दुंदुहि निनाउ व ॥ जं सुम्मइ निग्घोसु । तरुणि जणिय-संतोसु ॥
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मणु कुमरस्मु
कुमर - लहुय-बंधुहिं खणद्विण | भणिउ - भाय उसम समिणि ॥ भविय भमर अरविंदु | धम्मु तु दु ।
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वियसिय-वयण - तामरसु
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सहि-विहिय- निय-सार- परियणु । विह जम्मु जीविउ स-सुहि-यणु पसरिय-मण- कल्लोलु । पेक्खर संजम - लोलु ॥
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