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[१८७१
नेमिनाहचरिउ
[१८७१]
चलिय-आसण सयल-तियसिंद तत्यागय स-परियण कुणहिं पहुहु केवल-महा-महु । कुवंति य मणि-कणय- रुप्प-मइय पायार सुर लहु ।। ता भयवंतिण अमर-नर- सहहं पयासिउ धम्मु । न उ परिसहं तहं हु उ कसु वि चरणु जणिय-सिव-सम्मु ॥
[१८७२]
अह वियाणिवि भावि-उवयारु पावाए मज्झिमहं समवसरणि सुर-गणिण जणियइ । नव-कंचण-कमल-कय- चलणु सामि आगंतु निसियइ ।। तयणु सुरासुर-निव-निवहु पहुहु सविहि आगंतु । विणय-नमिरु सामिहि वयणु निमुणइ हरिसिज्जंतु ॥
[१८७३]
एत्थ-अंतरि तियस-आगमणपरिविम्हिय-हियय वहु- भेय-सीस कय-सुद्ध-वुद्धिय । सिरि-गोयम-पमुह दिय- वग्ग-मज्झि पाविय-पसिद्धिय ॥ आरंभिय-निय-जाग-विहि मुणियागय-जिण-नाह । गुरु-अहिमाणिय पुव्व-कय- मणहर-कम्म-सणाह ॥
[१८७४]
पउर-परियण पत्त उवज्झाय एक्कारस-संख अह- कमिण सन्धि निय-नाम-गोत्तिण । आमंतिय जिण-वरिण तयणु झत्ति विम्हिय स-चित्तिण ॥ निय-निय-संसय-तरु-नियर- मूलई उम्मूलेवि । जिण-वयणिण चरणाचरण- नियल स-लील दलेवि ॥
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