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नेमिनाहचरिउ
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नणु महामइ एहु जइ एम्ब ता साहसु वित्थरिण मह सु अत्थि धणकुमरु केरिसु ।
फुरइ विमल-जस-पसरु एरिसु ॥ जासु नामेण य मह सहिहि एरिस हूय अवत्थ । तयणु पयंपइ सचिवु - नणु इह कह सुयणु महत्थ ॥
जसु
[११६] जमिह अणिमिसु सम्गि सुर-इंदु पायालि फर्णिदु पुणु विप्फुरंत-विस-दूसियाणणु । हरि कालउ पंडु हरु कुसुमकेउ संचर-निमुंभणु ॥ सायरु खारउ रवि तवइ रयणीयरु स-कलंकु । सो उग सयलेहि वि गुणिहिं सहिउ सुयणु नीसंकु ।।
[११७ इय अणेगहि कुमर-गय-कहहिं पावंत-गुरु-हरिस-भरु कुमरि गमइ केत्तिय वि वासर । अह पत्तइ लग्ग-दिणि सविहि-सीह निरवज्ज सुंदर ॥ पुरिस पयपहिं तुह-मण पय-पउमई पणमेवि । विक्कमवग-नरवइहि जह पहु अविलंबु करेवि ॥
[११८]
एह सयंवर-कुमरि तत्थेव पेसिज्जउ बहु-वलिण कलिय सयल-जुव-मण-विमोहणि । ता जुत्तउं जुत्तु इहु . इय भणंतु निवु कुमरि कारणि ॥ काराविवि स-निउत्त-नर- करिहिं पवर-सामग्गि । पेसइ धणवइ अयलपुरि तोसिय-सज्जण-वग्गि ॥ ११५. ८. क. तणु पयं ११६. ९. क. सुवयणु. ११८. ४. एहु.
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