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नेमिनाहचरिउ
[१७६९
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इय भणंतु वि कह-वि आ-बरिसु जय-बंधवु घरि धरिउ तेण नंदिवद्धणिण निवइण । अह कहमवि वोहिउण सयण-लोउ सयलो वि सामिण ।। सारस्सय-सुर-कहिय-वयः समउ दाणु आ-बरिमु । दाउ किमिच्छय-माणवहं तिय-चउक्क-चउरेसु ॥
[१७७०]
जीए वित्थरु धणुह पणवीस पन्नास आयामु पुणु उच्चयत्तु छत्तीस धणुहई । मणि-कंचण-रुप्प-सिल- घडिय देस नीसेस रेहई ॥ तीए चंद-प्पह-पवर- सीयए नाहु चडेवि । नाय-सडि उज्जाण-वणि गुरु-रिद्धिण गच्छेवि ॥
[१७७१]
किण्ह दसमिहिं मग्गसिरि मासि हत्थुत्तर-जोगि गइ चंदि पवर-वासर-मुहुत्तिण । पडिवज्जइ चरणु पहु मोक्ख-सुक्ख-गय-एग-चित्तिण ॥ अह तियसासुर-निव-निवह दिक्ख-महिम पेक्खेवि । वीर-जिणिदह पय नमिवि गय गुरु-हरिसु लहेवि ॥
[१७७२]
भुवण-बंधु वि चरण-सम-कालमण-नाणुप्पति-जय- जंतु-जाय-मण-मुणण-पच्चलु । कय-छह-तव-च्चरणु विमल-झाणि सुर-सिहरि-निच्चलु ॥ तसु उज्जाणह नीहरिवि गोयर-चरिय भमंतु । कोल्लागम्मि पुरम्मि घरि वहुल-दियह संपत्तु ॥ १७७०. १. क. पणुवीस.
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