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________________ ३८५ १७१७ ] सत्तमभवि संखवुत्तंतु [१७०९] कुल-पव्वय-परिवेढिय-पेरंतं तियस-नाह-सिहरि व्व । तारा-नियर-विराइय-आभोगं रयणि-रमणं व ॥ [१७१०] रवि-मंडलं व अवहरिग-इयर-तेयस्सि-विसर-माहप्पं । वहु-साहु-निवह-मज्झम्मि संठियं पसरियाणंदं ॥ [१७११] तियसासुर-मणुयाणं सहाए सद्धम्म-मग्गमक्खेंतं । कंचण-कमल-निसन्नं तं चेव महा-मुर्णिदं ति ॥ [१७१२] अह नर-नाहो विहिणा वंदेउ मुणिंद-पाय-पउम-जुयं । पुणरवि सोऊणं गुरु-वयणं गय-रज्ज-चामोहो ॥ [१७१३] सुहि-सयण-गिहावं, मोत्तु पिया-बंधु-सचिव-परियरिओ। गेण्हइ सिरि-संख-निवो केवलि-पासम्मि पव्वज्ज ॥ [१७१४] अह वित्थरेण गुरुणा अणुसट्ठी तस्स वियरिया एसा । जह - धन्नो सि महा-यस तुमं इमाणि वि कयत्थाणि ॥ [१७१५] जम्हा निवन-चक्काहिवत्त-तियसाहिवत्तणाओ वि । तुब्भेहिमणंत-गुणभहिया पत्ता चरित्त-सिरी ॥ [१७१६] एत्तो य विहेयन्वो अब्भासो धम्म-सत्थ-विसयम्मि । सम्ममववुज्झियव्वो आगम-वयणस्स परमत्थो ॥ [१७१७] तेण पुणो कायरो अणु-समयं नियय-मण-अवर्टभो । निच्चमणुसीलणीया सिद्धंत-निवेइया किरिया ।। १७०६. १. क. ख. अहक्खाय. १७१०.१. क. ब. ब्व १७१५. ३. क तुम्मेहिं. ४९ Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002609
Book TitleNeminahacariya Part 1
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1970
Total Pages450
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size16 MB
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