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१६१४]
सत्तमभवि संखवुत्तंतु
[१६११]
असम गुण पुणु पुरिस-रयणस्सु एयस्सु सुरिदिहि वि धरिउ नेव तीरंति चित्तिण। . न य वयणिण जंपिउ वि चेटिउं पि न सरीर-वित्तिण ॥ इय धुवु भुल्लडं मज्झ मणु धावइ जमिह इमस्सु । खुज्जु हसिज्जइ निक्खिविरु करयलु ताल-फलस्सु ॥
। [१६१२]
न-वि य माणस-सर-सलिलाई धावंतु वि मरु पहिउ लहइ कह-वि निय-पुन्न-वज्जिउ । रोरो वि न रयण-निहि पाउणेइ निय-दुकय-तज्जिउ । तह-वि-हु निय-मणु एत्तिइण आसासेमि अहं पि । किं-चि सिणिद्धिहि लोयणिहि इहु विज नियइ ममं पि ॥
[१६१३] ___एत्थ-अंतरि भणइ खयरिंदु मरसिज्ज अवराहु इहु कुमर-रयण पसिऊण महुवरि । तह चल्लसु मई जि सहुं जेण जाहुं वेयड्ढ-गिरि-वरि ॥ वंदहुं सासय-चेइयई सिद्धाययण-गयाइं । निमुणहुँ सिद्धि-सुहावहई चारण-मुणि-वयणाई ॥
[१६१४]
एत्थ-अवसरि तत्थ संपत्तु मणिसेहर-खयरवइ- तणउं सेन्नु पूरिय-नहत्थलु । अह विज्जाहर-मुहिण पेसवेउ निय-नयरि निय-बलु ॥ आणावेविणु जसमइहि अंव-धाइ साणंदु । चलियउ संख-कुमारु लहु पुरउ करिवि खयरिंदु । १६११. ९. क. करु.
१६१४. २. क. खरवड; ६. क. जैसमइहिः
९. क. पुरओ.
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