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नेमिनाहचरित
[१५९९]
तयणु निहणिय-नियय-पडिवक्खु वंभंड-भमंत-जमु दरिय-वइरि-तरुणिहि कडक्खिउ । तइं परिणिसु हउं जि पर तुहं करेसु जं किं-पि सिविघउ ॥ एत्यंतरि वियसंत-मुहु संख-कुमारु तुरंतु । तत्थागंतु समुल्लवइ __अरि अरि विहलु वयंतु ।।
[१६००] .
थक्कु एत्तिउ काल तुहं सविहि ससि-वयणिहि जसमइहि किं तु एण्हि करवालु धेप्पिणु । सवडम्मुहु हवसु जह तुह मडप्पु सयलु वि दलिप्पिणु ॥ दंसिवि दुन्नय-तरु-फलई सहलीहुय-अहिमाणु । उवभुंजउं इउं वर-विसय- सुह जसमइहिं समाणु ॥
[१६०१] - इय परोप्पर-भणिर ते दो-वि दुईत-दप्पाभिहय गहिय-खग्ग समरम्मि पविसहि । अप्फोडहि वक्करिय नियय-दप्प-माहप्पु दंसहि ॥ धावहिं वग्गर्हि उल्लसहि वियरहिं कर-अप्फोडु । न-उण पयट्टइ एक्कह वि रोम-लवह तहं तोडु ॥
[१६०२]
ता विउज्झिय-खग्ग-संगाम दट्ठोट-पल्लव दुवि वि संपलग्ग गुरु-वाहु-जुज्झिण । नउ छलिउ एक्को वितई मज्झि किण-वि वुद्धि-प्पओगिण ॥ तयणंतर खयराहिविण फुरिय-गरुय-रोसेण । मुक्का गिरि-तरु-सीह-अहि-विज्जुय विज्ज-वसेण ॥ १६.१. ९. मोड.
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