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ने मिनाहचरिउ
[१३२४]
सयल - निय- लोय-सहिओ वि पल्लि पहू | नियय- पल्लिं चएऊण नट्ठउ लहू || तयणु ईसीसि विहसंतु निव नंदणो । भणइ • नणु कूड - वल-जोगओ इहु जणो ||३||
[१३२५]
पालए रज्जु न उ खत्तियायारओ । मज्झ लोगो उ तच्चरिय - अवियारओ ॥ इय खणं नियह जह तुम्ह कोऊहलं । किं-पि काहामि दुब्विणय- दंसिय-फलं ॥४॥
[१३२६]
अह सयं होउ पच्छन्तु रण-रस-मणं । सिक्खवेऊण साणंदु बहु-परियणं ॥ ठक्कुरं कं-पि पेसवइ सो वि-हु पहुं । नमिवि नहु राय - चिंधेहिं पूरिवि लहुं ||५||
[१३२७]
ढक्क वक्क-बुक्का िवहिरिय - दिसो | पविसिउं पल्लि - मज्झम्मि गुरु अमरिसो ॥ पिहिवि दाराई नीसंकु जा गेण्हए | रयण-धण-कणय वहु-वत्थए सण्हए ||६||
[१३२८]
ताव नणु पल्लि - मज्झम्मि स-वलो वि इहु | संखु सु पविठु हुउ इय विचिंतेवि लहु । सिरि-समरकेउ पल्लि - पहू चउ-दिसं । वेढए सयल पल्लि फुरिय-अमरिसं ॥७॥
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