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[ १२८२
नेमिनाहचरिउ
[१२८१] खिविय-गुड-पिंड-पय-धार-सुकुमारिया । चउसु पासेसु मणि-दीवया कारिया ॥ गोउरोभय-दुवारेसु मणि-कलसया । ठाविया दिण्ण तरुणीहिं मंगल-सया ॥१७॥
[१२८२] पडिगिहं वद्ध तोरणई उब्भिय झया । दिण्ण दाणाई सोहिय नयर-रच्छया ॥ मुत्त गोत्तीओ सम्माणिओ सज्जणो । महिय जिण-पडिम पडिलाहिओ मुणि-जणो ॥१८॥
अवि य -
[१२८३] नच्चंत-विलासिणि-मणहरयं महु-पाण-निरय-वर-नायरयं । अइ-सुंदर-गेय-वरायरयं विलसंत-निवइ-अंतेउरयं ॥१९॥
. [१२८४] पिज्जंत-पउर-रस पेसलयं दीसंत-कणय-रयणुज्जलयं । दिज्जंत-वत्थ-तंवोल-फलं वज्जत-तरुणि-नेउर-मुहलं ॥२०॥
[१२८५] किज्जत-निवइ-गिह-सोहलयं सुय-जम्मि निविण मुहि-नेहलयं ॥ विलसंत-नराहिव-परियणयं वित्थरिण विहिउ बद्धावणयं ॥२१॥
[१२८६] तयणु एक्कारसमि वासरे अइगए । तत्थ घर-सार-जणि सयलि समुवागए । दियहि वारसमि अणुकमिण संपत्तए । मुयह संखो त्ति किउ नामु सु-मुहुत्तए ॥२२॥
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