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________________ ३११ १२४०] पंचमभाव अवराइयवुत्तंतु [१२३७] रुयहिं गायहिं ललहिं मुच्छहिं य सिक्कारहिं पुकरिहि सहिहिं गहिय उरि हार तोडहि । उल्लूरहिं चिहुर-भर कणय-रयण-वलयालि मोडहि ॥ सरिवि सरिवि निय-पिययमह गुण-गणु तहिं विलवंति । जह सविह-हिय-तरु-विहय- नियरु वि रोयावंति ॥ [१२३८] वच्छ बंधव दइय सुहि-जणय पहु-सयण-सुहावणय पणय-लोय-कल्लाण-कारय । निकारण कारुणिय दुहिय-हियय-जण-दुह निवारय ॥ विलसंतउ तुहुं दीसिहसि पुणु कइयहं मुह-हेउ । जणय-बंधु-पिय-मित्त-सुय- भिच भणहिं पत्तेउ ।। [१२३९] इय निरिक्खिवि जणु अ-पज्जंतु विलवंतउ वहु-विहिहिं स-दुहु पुरिसु कु-वि निविण पुच्छिउ । जह-साहसु कसु नरह मरणि सयलु जणु एहु दुत्थिउ । अह इयरिण जंपिउ - इह वि समुदवाल-नामस्सु । पयडु अणंगरइ त्ति इहु नंदणु सत्याहस्सु ॥ [१२४०] आसि पच्छिम-दियहि उज्जाणि वहु-परियण-सहिउ गउ कीलणत्थु अह विहि-निओइण । निय-भवणि समागयउ संतु निसिहिं आहार-दोसिण ॥ सूल-व्वाहि-समागमिण विहुरिय-अंगोवंगु । हुउ सु कयंतह पाहुणउ सस्थवाह-कुल-चंगु ।। ____Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002609
Book TitleNeminahacariya Part 1
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1970
Total Pages450
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size16 MB
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