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१२३२]
पंचमभवि अवराइयवृत्तंतु
[१२२९]
अवर-अवसरि नियय-उज्जाणि परिकीलण-उज्जयउ सहिउ पउर-चउरंग-सेन्निण । गच्छंतउ विजिय-रइ- रमणु नियय-तणु-रूव-वन्निण ॥ मयलंछण-सन्निह-वयणु तसिय-हरिण-नयणिल्लु । कणय-सिला-बच्छयलु पुर- अग्गल-भुय-जुयलिल्लु ॥
[१२३०]
रत्त-उप्पल-गब्भ-कर-चरणु उत्तत्त-कंचण-सरिस- अंगुवंगु सव्वंग-सुंदरु । साहावि-कित्तिम-असम- भूसणेहिं कामिणि-मणोहरु ॥ सरिस-रूव-वय-वेस-गुण- मुहि-निवहिण परिखित्तु । जिय-सुर-सुंदरि-तरुणियण- लास-पणासिय-चित्तु ।।
[१२३१]
निय-निउत्तिहिं पणय-लोयस्सु मण-इच्छ-पमाणिण य अन्न-पाण-भूसणइं दाविरु । घणसार चंदण-अगुरु- हरिणनाहि-पंक वि पयच्छिरु ॥ वियरंतउ निय-करयलिहिं कप्पूरिण तंवोलु । निसुणंतउ फुडु परिपढिर- मग्गण-जण-हलवोल ।।
[१२३२]
पुरउ पसरिय-भेरि-भंकार सारंगि-मुइंग-वर- वेणु-पमुह-आउज्ज-सद्दिहि । गायंतिहि कामिणिहिं नच्चिरहिं पण-तरुणि-विदिहिं । पडिरव-वहिरिय-धरणियलु आणंदिय-जय-जंतु । नियइ नराहिवु कसु वि पुर- इब्भह तणउ ललंतु ॥ १२३२. ५. क. तरुण.
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