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नेमिनाहचरिउ
एत्थ-अंतरि पउर-साहस्सु वहु-पल्लव-कुसुम-भर- रिद्धि-जणिय-आणंद-पसरह । पच्छाइय-सहसकर- किरण-भरह चुय-तरुहु एगह ॥ हेहि नियइ चित्तयर-नरु फलहिय-हत्थु निविट्छु । अविहिय-वयण-वियारु निरु तक्खणि मणि संतुटु ॥
[६०]
अह हविस्सइ किमिह फलहीए इय विभिर निव-दुहिय गइय पुरउ चित्तयर-पुरिसह । ता घेत्तु स-कर-यलिहिं नियइ समुहु तमु चित्त-फलियह ।। अणिमिस-दिहिहिं गुरु हरिस- रोमचिय-सव्वंग । वाम-स-नयण-प्फुरण-परिसूइय-पिययम-संग ॥
[६१] तयणु वुज्झिवि हियय-सब्भावु सरइंदु-निम्मल-मइण ताहिं ताहिं चिट्ठाहिं कुमरिहिं । कमलिणि सहि चित्तयर पुरउ भणइ वयणेहि महरिहि ॥ भद निवेयसु कस्सु एह पडिम पुरिस-रयणस्सु । माणिणि-माणुम्मत्त-करि- कलह-दप्प-दलणस्सु ॥
[६२] तयणु सायरु ईसि विहसंतु चित्तयर-नरु वज्जरइ अहह मुद्धि किं तई न याणिउ । एहु एत्तिउ कालु नर- रयणु सयल महि-यलि वखाणिउ ॥ जं जसु कित्ति-सुहा-रसु वि धवलइ भुवणु असेसु । तिव्वु पयावु वि निदहइ रिउ-कुल-कमल-विसेसु ॥ ५९. ४. क. सहसकिर. ५. वुयतरुह. ६०. २. चित्तय. ४. चित्तु सकरयणिहि. ५. मुहुत्त. ८. क. वामम. ६२. ४. तित्तयर,
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