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६८१]
तइयभवि चित्तगइयुत्तति सणेतुकुमारचरिउ
[६७८] ___ अह नराहिवु स-पिय अ-नियंतु मा मरिहइ इय समगु सचिव-जणिण सयलेण मंतिवि । कायचउं जह कह वि सत्थु हियउ पहुहु त्ति चिंतिवि ॥ भणिउ नमेविणु नरवरह पुरउ – देव पसिऊण । भोयणु कुणसु पसन्न-मणु निय-पिययभ दट्टण ॥
[६७९]
तयणु - कहि कहि कत्थ कत्थत्थि सा ससि-मुहि विण्हुसिरि इय भणंतु उठेवि नरवरु । वयणेण सचिवहं चडि वि तुरइ गहिय-निय-सार-परियरु ॥ पत्तु तइज्जह लंघणह अति चउत्थ-दिणम्मि । जत्थ खिवाविय विण्हुसिरि चिट्ठइ तत्थ वणम्मि ॥
[६८०]
ता निरंतर पूइ-पब्भारकिमि-संकुल-सयल-तणु काय-सहस-आवट्ट-लोयण । वहु-गिद्ध-सिगाल-सय- सुणय-सहस-परिवि हिय-भोयण ॥ विगलिय-दसण कराल-मुह पूइ-गंध-वीभच्छ । दिट्ट नरिंदिण विण्हुसिरि विहय-सहस-पडिहत्थ ॥
[६८१] ____ अह नराहिवु फुरिय-वेरग्गु धिसि जीए निमित्तु मई सील-रयणु लीलई कलंकिउ । परिचत्तु कुल-क्कमु वि सुयण-वग्गु सयलु वि धवक्किउ ॥ अब्भुवगय पागय-किरिय वित्थारिय अवकित्ति । भुवणि वि अप्पु विगोइयउ तमु एरिस मुत्ति त्ति ॥ ६७८, २. क. मरिहइ य. ८. क. मण. ६८०. ९. पडिहच्छ. ६८१. ८. क. भुवणु.
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