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६०९] तइयभवि चित्तगइवुत्तंति सणतुकुमारचरिउ
[६०६] __ इय कुमारह विगय-नीसेसघर-परियण-पिययमह सुद्ध-धरणि-तल-संनिसन्नह । अवियक्किय झुणि सवणि पडिय एह गयण-यल-मग्गह ॥ हा सहि हा पिय हा जणणि हा भाविय-भत्तार । आससेण-नरवइ-तणय रक्खहि सणतुकुमार ॥
[६०७] तह -- सुलोयणि किमिह तारण किं जणणि हिं किं सहिहिं किं व नियय-देवय-विसे सिण । कि व तिण महि-गोयरिण आससेण-निव-सुय-कुपुरिसिण ।। तियसासुर-नर-मय-महणु मई सुमरसु पसयच्छि । कामाउर-मण जेण तुह तत्ति करावइ लच्छि॥
[६०८] तयणु पाविण केण परिकुविय - जमदयालोइएण दसण-गणण-उच्छहिय-चित्तिण । परिखित्तउ नियय-करु वयणि सीह पोयह कु-मंतिण । अवहरमाणिण किं पि एहु मह अणुरत्तु कलत्तु । कुमरु पलोयइ नह-यलह संमुहु इय चितंतु ॥
[६०९] किंतु न नियइ कि पि गयण-यलि ता - एहु वि पुव्वु जिम्ब इंदियालु किंचि वि मुणंतउ । ढंडुल्लइ जाव वणि स ज्जि तरुणि हियइण वहंतउ ॥ ता सुर-भवणह निवडिउ व महरिह-सिरि अवतारु । इगु धवलहरु महाडइहिं नियइ तिलोयह सारु ॥ ६०६. ७. and रक्खहि in ८ lost in क. ८. जो ण. ६०८. ३. क, गगण,
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