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________________ १३८ नेमनाहचरिउ [५४६] विरल-जलहर - वरिसु पसरंत रयणीयर - किरण भरु उज्जीवय-सरिय-सरकुसुमिय-सत्तच्छय-विहियदुह विपयासि - उदय - पिय पिक्क-सालि-परिमल -मणोहरु | Jain Education International 2010_05 पउम-कमल- कल्हार - सुंदरु || बंधुजीव - सिरि-सारु । रायहंस- पवियारु || [५४७] हरिय कवलण - मुइय-गोवग्ग सिंगग्ग -दारिय-धरणि जणिय-तरणि-किरणोलि- वित्थरु । परिसोसिय-सयल - महि- वलय-पंकु कय-पहिय- संचरु ॥ for-for- सामि - विओइयहं कय-असुहहं सत्ताहं । किह अइगच्छर सरय - रिउ महियलि जीवंताहं ॥ [५४८ ] मलिय- मालइ - उल - वियइल्ल मंदार तरुवर-विह पवियंभिर तुहिण-कणतणुई कय-वासर- समउ पयडिय - पहिय-दरिद्दि-यण - विग्गह-विसम - विवागु ॥ विहिय- वयरि-तरु- कुसुम-फल- सिरि । पसर- गरिम- परितुलिय- हिमगिरि ॥ दुगुणिय रयण - विभागु । [५४९] परम - कुंकुम - निविड धवलहर बहु-सगडिय - वर-तरुणिपिय-पिययम- संग सुह धण - रहिय पहु-उज्झियहं कालिहिं खडउ जाइसर ५४६. ४. उज्जाविय. ६. च्छत्तच्छय. सुरहि- तेल्ल- सुहि-विहिय- आयरु | गहिय- निविड- कंवलय- अंवरु ॥ मणुयहं दुह पयतु । कइयहं इहु हेमंतु ॥ For Private & Personal Use Only [ ५४६ www.jainelibrary.org
SR No.002609
Book TitleNeminahacariya Part 1
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1970
Total Pages450
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size16 MB
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