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नेमनाहचरिउ
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विरल-जलहर - वरिसु पसरंत
रयणीयर - किरण भरु उज्जीवय-सरिय-सरकुसुमिय-सत्तच्छय-विहियदुह विपयासि - उदय - पिय
पिक्क-सालि-परिमल -मणोहरु |
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पउम-कमल- कल्हार - सुंदरु || बंधुजीव - सिरि-सारु । रायहंस- पवियारु ||
[५४७]
हरिय कवलण - मुइय-गोवग्ग
सिंगग्ग -दारिय-धरणि जणिय-तरणि-किरणोलि- वित्थरु । परिसोसिय-सयल - महि- वलय-पंकु कय-पहिय- संचरु ॥ for-for- सामि - विओइयहं कय-असुहहं सत्ताहं । किह अइगच्छर सरय - रिउ महियलि जीवंताहं ॥
[५४८ ]
मलिय- मालइ - उल - वियइल्ल
मंदार तरुवर-विह पवियंभिर तुहिण-कणतणुई कय-वासर- समउ
पयडिय - पहिय-दरिद्दि-यण - विग्गह-विसम - विवागु ॥
विहिय- वयरि-तरु- कुसुम-फल- सिरि । पसर- गरिम- परितुलिय- हिमगिरि ॥ दुगुणिय रयण - विभागु ।
[५४९]
परम - कुंकुम - निविड धवलहर
बहु-सगडिय - वर-तरुणिपिय-पिययम- संग सुह धण - रहिय पहु-उज्झियहं कालिहिं खडउ जाइसर
५४६. ४. उज्जाविय. ६. च्छत्तच्छय.
सुरहि- तेल्ल- सुहि-विहिय- आयरु | गहिय- निविड- कंवलय- अंवरु ॥ मणुयहं दुह पयतु । कइयहं इहु हेमंतु ॥
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