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नेमिनाहचरिउ ।
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कमिण पुणु अणुदिणु वि परिगमिरु कर - सावय- रउद्दिहिं ।
संपत्तु महाड विहिं
कह
अह निणिवि गड डिउ विहिउ विविह-सिंधुरिहिं भद्दिर्हि || नणु किं सणतुकुमार-नर- रयण-गहिर झुणि एउ | इय चिंतिरु तमु समुह धाइ मुट्ठि वंघेउ ||
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[५३९]
चमरि-केसरि-वग्घ सहुल
वण- वारण-सरह - हरिगुरु-तरुयर - गिरि-गहणहिंडतह तसु तर्हि महिहिं जहिं विरहिउ पिय- माणुसह
आमोय-वह लियसहयार - तरु-मंजरिहिं
किंपाग- हुम- कुसुम - रयवियलइ हियडुल्लडं जणहं
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हरिण - नउल - कलहंस- संकुलि | विल-तडिणि सरवर - समाउलि ॥ पत्तु वसंतु दुरंतु । गुण सुमरइ झरंतु ॥
[५४० ]
कसु व वर-तरु-कुसुम-मयरंद-सयल
वसुह-वलय-गिरि- विवर-अंवरु | रेणु-पसर-पिंजरण-मणहरु || भरिय - दियंतरु एउ | मलयाणिलु महु-केउ ॥
[५४१]
तवहिं पहि-यणु भमर झंकार
परहुय-रव निड्डहहिं वियइल्ल मालइ वउल नं चि रुट्टिण विहिण इयक सुहिण अइक्कमइ एहु वसंतु ५३९. ५. क. सरवरि. ६. क. हिंडत.
जहि खेउ केसुय असोयवि । कन्नियार दुह देंति गरुय वि ॥ पहियहं मंडिउ पासु ।
हयासु ॥
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