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________________ नेमिनाहचरिउ । [५३८] कमिण पुणु अणुदिणु वि परिगमिरु कर - सावय- रउद्दिहिं । संपत्तु महाड विहिं कह अह निणिवि गड डिउ विहिउ विविह-सिंधुरिहिं भद्दिर्हि || नणु किं सणतुकुमार-नर- रयण-गहिर झुणि एउ | इय चिंतिरु तमु समुह धाइ मुट्ठि वंघेउ || १३६ [५३९] चमरि-केसरि-वग्घ सहुल वण- वारण-सरह - हरिगुरु-तरुयर - गिरि-गहणहिंडतह तसु तर्हि महिहिं जहिं विरहिउ पिय- माणुसह आमोय-वह लियसहयार - तरु-मंजरिहिं किंपाग- हुम- कुसुम - रयवियलइ हियडुल्लडं जणहं Jain Education International 2010_05 हरिण - नउल - कलहंस- संकुलि | विल-तडिणि सरवर - समाउलि ॥ पत्तु वसंतु दुरंतु । गुण सुमरइ झरंतु ॥ [५४० ] कसु व वर-तरु-कुसुम-मयरंद-सयल वसुह-वलय-गिरि- विवर-अंवरु | रेणु-पसर-पिंजरण-मणहरु || भरिय - दियंतरु एउ | मलयाणिलु महु-केउ ॥ [५४१] तवहिं पहि-यणु भमर झंकार परहुय-रव निड्डहहिं वियइल्ल मालइ वउल नं चि रुट्टिण विहिण इयक सुहिण अइक्कमइ एहु वसंतु ५३९. ५. क. सरवरि. ६. क. हिंडत. जहि खेउ केसुय असोयवि । कन्नियार दुह देंति गरुय वि ॥ पहियहं मंडिउ पासु । हयासु ॥ For Private & Personal Use Only [ ५३८ www.jainelibrary.org
SR No.002609
Book TitleNeminahacariya Part 1
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1970
Total Pages450
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size16 MB
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