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________________ ५३७ ] तयभवि विप्तंति सणतुकुमारचरिउ [५३४] तयणु मोडिय - छत्त - दंडेण मूरिय-तरुवरिण उप्पाडिय-मंदिरिण अधीकय-जय- लोयणिण पलयाणिल-सरिसेण । निवइ स- सेन्तु विठु लिउ वलवंतिण पवणेण ॥ दलिय -सयल - गिरि-नियर - सिहरिण । खणिय-खोणि-तल- रेणु - पसरिण ।। [५३५ ] एत्थ - अंतरि नमिवि सिरि-सूर भणिउ भावि असमाण- रिद्धिण । सामिसाल पई कज्ज-सिद्धिण ॥ नरनाह- अंगुभत्रिण वद्धाविसु हउं जि धुवु परिय नियत्तसु जमिह रवि- किरण च्चिय जिय- लोइ । तम भरु पसरंतु वि हरहिं जइ न त नहयलु जोइ ॥ [५३६ ] इय विचित्तर्हि वयण - रयणणेहिं कह-कहमवि विष्णविवि सिरि-सूर- निवंगरुडु कमिण असेसि वि सेस जणि भमर स-वाहु-विइज्जु महि Jain Education International 2010_05 आससेणु नरनाहु वालिवि । चलिउ कुमर - दिसि - मुह निहालिवि ॥ निय-निय ठाणि पहुत्ति । सूर-नरिंद-ओति ॥ [५३७] विसs सरवर गिरि-सिहरिहि आरुहइ अणुधावर काणणहं कुण सरीर-वि फलन रमई पह- निवइहिं कहिं ५३५, ४. क. वद्धाविज्जसु. ५३६. १. क. रयणाई. ५३७. ४. क. अवधावइ; क. काणणह मण. व वित्र रेसु नयर पत्रिसे पुणु पुणु । मणि धरंतु निय- सुहिहि गुण- गणु ॥ पत्त-कंद - कुसुमेहिं | गउरविहिं वि परमेहिं ॥ १३५ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002609
Book TitleNeminahacariya Part 1
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1970
Total Pages450
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size16 MB
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