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________________ ४५७ ] तंदर्भावि चित्तवृत्तंति सणतुकुमारवरिउं [४५४] कुंभ - केसरि-सह-अहिसेय ससि - दियर - झय- कलसरयणुच्चय-जलण मुहि तयणंतर संत- मुह साहइ सिविणई विणय-कय तयणु उदयम्मि रयणायरु व कमलायरु दिणयरि व सहयारु व्व वसंत महि कह-वि न माइ न ठाइ निवु तो पर्यपर आणंद-गग्गर- गिरहिं जह - होहि देवि तुह तियसासुर-नर- नमिय-पयनव-निहि- चउदह-वर - रयण [४५५ ] पुण्णिम-सरय- रयणियर उवलद्ध-चिंतामणि व Jain Education International 2010_05 अह दाम- पउमसर-जलहि-सुरघर | पविसमाण पेच्छेइ मणहर ॥ उट्ठेविणु सहसति । कर- संपुड निवहं ति ॥ जलय- माल- दंसणि सिहंडि व । रायस - कुल कमल -संडि व ॥ पत्त दुगुणिय-सोहु | सिविणिर्हि कय-सिरि-बोहु || [४५६ ] पुहइ हरिणंकु पुरउ नियय सहदेवि-दइयह । तणय- रयणु सुह-जणणु ति-जयह || पउमु जिणाहिवइ व्व । सामिउ चक्कवर व्व ॥ [४५७] सुहा रस- कुंड- वुड्ड व्व पत्त चक्कवइ - रज्ज - रिद्धि व । अइर-जाय - वर - मंत-सिद्धि व ॥ गिह- उग्गय सुरतरु व हरिस - वियासिय-मुह-कमल सिर-विरइय-कर-कोस । हव हुइय पुणु वि पुणु ४५६. २. गग्गेर. ४५७ १. देवि वि भणइ स-तोस ॥ क. संवुड्ड व्व. For Private & Personal Use Only ११५. www.jainelibrary.org
SR No.002609
Book TitleNeminahacariya Part 1
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1970
Total Pages450
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size16 MB
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