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________________ POR55555555555555 (३९-२) दसासुयक्खधं कप्पसूर्य (बारसासूत्र) [२४] 所听听听听听听听听听听听听听GO FC历历历听听听听听听听听听听听明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明45C वा निग्गंथीण वा सव्वओ समंता सक्कोसं जोयणं उग्गहं ओगिण्हित्ता णं चिट्ठिउं अहालंदमवि उग्गहे ॥९॥ वासावासं पज्जोसवियाणं कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा सव्वओ समंता सक्कोसं जोयणं भिक्खायरियाए गंतुं पडिनियत्तए ॥१०|| जत्थ नई निच्चोयगानिच्चसंदणा, नो से कप्पइ सव्वओ समंता सक्कोसं जोयणं भिक्खायरियाए गंतुं पिडिनियत्तए ।।११।। एरावई कुणालाए, जत्थ चक्किया सिया एणं पायं जले किच्चा एगं पायं थले किच्चा, एवं चक्किया एवं णं कप्पइ सव्वओ समंता सकोसंजोयणं गंतुंपडिनियत्तए॥१२॥ एवं चनो चक्किया, एवं सेनो कप्पइ सव्वओ समंता सक्कोसंजोयणं गंतुं पडिनियत्तए॥१३|| वासावासंपज्जोसवियाणं अत्थेगइयाणं एवं वुत्तपुव्वं भवइ-'दावे भंते !' एवं से कप्पइ दावित्तए, नो से कप्पइ पडिगाहित्तए ।।१४|| वासावासं पज्जो सवियाणं अत्थे गइयाणं एवं वुत्तपुव्वं भवइ-'पडिगाहेहि भंते !' एवं से कप्पइ पडिगाहित्तए, नो से कप्पइ दावित्तए ॥१५|| वासावासं पज्जोसवियाणं ० 'दाव भंते ! पडिगाहे भंते ?" एवं से कप्पइ दावित्तएविपडिगाहित्तएवि ।।१६।। वासावासं पज्जोसवियाणं नो कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा हट्ठाणं तुट्ठाणं आरोगाणं बलियसरीराणं इमाओ नवरसविगईओ अभिक्खणं २ आहारित्तिए, तजहाखीरं १ दहिं २ नवणीयं ३ सप्पिं ४ तिल्लं ५ गुडं ६ महुं ७ मज्जं ८ मंसं ९॥१७॥ वासावासं पज्जोसवियाणं अत्थेगइआणं एवं वुत्तपुव्वं भवइ-अट्ठो भंते ! गिलाणस्स, से य वइज्जा-अट्ठो, से य पुच्छियव्वे-केवइएणं अट्ठो ? से वएज्जा-एवइएणं अट्ठो गिलाणस्स, जं से पमाणं बयइ सेय पमाणओ धित्तव्वे, सेय विन्नविज्जा, सेय विन्नवेमाणे लभिज्जा, से य पमाणपत्ते होउ अलाहि, इय वत्तव्वं सिया, से किमाहुभंते ? एवइएणं अट्ठो गिलाणस्स, सिया णं एवं वयंतं परो वइज्जा-'पडिगाहेह ? अज्जो! पच्छा तुमं भोक्खसि वा पाहिसि वा' एवं से कप्पइ पडिगाहित्तए, नो से कप्पइ गिलाणनीसाए पडिगाहित्तए।।१८।। वासावासं पज्जोसवियाणं अत्थि णं थेराणं तहप्पगाराइं कुलाई कडाइं पत्तिआई थिज्जाइं वेसासियाइं संमयाई बहुमयाई अणुमयाइं भवंति, तत्थ से नो कप्पड़ # अदक्खु वइत्तए-'अत्थि ते आउसो ! इमं वा २ ?' से किमाहु भंते ? सड्डी गिही गिण्हइ वा, तेणियंपि कुज्जा ॥१९|| वासावासं पज्जोसवियस्स निच्चभत्तियस्स भिक्खुस्स कप्पइ एगं गोअरकालं गाहावइकुलं भत्ताए वा पाणाए वा निक्खमित्तए वा पविसित्तए वा, नन्नत्थाऽऽयस्थिक्यावच्चेण वा एवं उवज्झायवेयावच्चेण वा तवस्सिवेयावच्चेण वा गिलाणवेयावच्चेण वा खुड्डएण वा खुड्डियाए वा अवंजणजायएण वा ॥२०॥ वासावासं पज्जोसवियस्स चउत्थभत्तियस्स भिक्खुस्स अयं एवइए विसेसे - जं से पाओ निक्खम्म पुव्वामेव वियडगं भुच्चा पिच्चा पडिग्गहगं संलिहिय संपमज्जिय से य संघरिज्जा कप्पइ से तदिवसं तेणेव भत्तट्टेणं पज्जोसवित्तए, से य नो संथरिज्जा एवं से कप्पइ दुच्चपि गाहावकुलं भत्ताए वा पाणाए वा निक्खमित्तए वा पविसित्तए वा ।।२१|| वासावासं पज्जोसवियस्स छट्ठभत्तियस्स भिक्खुस्सकप्पंति दो गोअरकालागाहावइकुलं भत्ताएबापाणाएवा निक्खमित्तएवा पविसित्तए वा॥२२।। वासावासं पज्जोसवियस्स अट्ठमभत्तियस्स भिक्खुस्स कप्पंति तओ गोअरकाला गाहावकुलं भत्ताए वा पाणाए वा निक्खमित्तए वा पविसित्तए वा ॥२३।। वासावासं पज्जोसवियस्स विगिट्ठभत्तिअस्स भिक्खुस्स कप्पंति सव्वेऽवि गोअरकाला गाहावइकुलं भत्ताए वा पाणाए बा निक्खमित्तए का पविसित्तए वा ॥२४|| वासाबासं पज्जोसवियस्स निच्चभत्तियस्स भिक्खुस्स कप्पंति सव्वाइं पाणगाइं पडिगाहित्तए। वासावासं पज्जोसवियास्स चऊत्थभत्तिअस्स भिक्खुस्स कप्पंति तओ पाणगाई पडिगाहित्तए, तंजहा-ओसेइमं संसेइमं चाउलोदगं । वासावासं पज्जोसवियस्स छट्टभत्तियस्स भिक्खुस्सा कम्पति तओ पाणगाई पडिगाहित्तए, तंजहा-तिलोदगं वा तुसोदगं वा जवोदगं वा । वासावासं पज्जोसवियस्स अट्ठमभत्तियस्स भिक्खुस्स कप्पंति तओ पाणगाइं पडिमाहित्तए, तंजहा-आयामे वा सोवीरे वा सुद्धवियडे वा । वासावासं पज्जोसवियस्स विगिट्ठभत्तियस्स भिक्खुस्स कप्पइ एगे उसिणवियडे षडिगाहित्तए, सेऽवियाणं असित्थे, नोऽविय णं ससित्थे । वासावासं पज्जोसवियस्स भत्तपडियाइक्खियस्स भिक्खुस्स कप्पइ एगे उसिणवियडे पडिगाहित्तए, सेऽविय णं असित्थे, नो चेव णं ससित्थे, सेऽविय णं परिपूए, नो चेवणं अपरिपूरए, सेऽविय णं परिमिए, नो चेव + णं अपरिमिए, सेऽविअ णं बहुसंपन्ने, नो चेव णं अबहुसंपन्ने ॥२५|| वासावासं पान्जोसविअस्स संखादत्तियस्स भिक्खुस्स कप्पंति पंच दत्तीओ भोअणस्स श्पडिगाहित्तए पंच पाणगस्स, अहवा चत्तारि भोसणस्स पंच पाणगस्स, अहवा पंच भोअणस्स चत्तारि पाणगस्स, तत्थ णं एगा दत्ती लोणासायणमित्तमवि Mo ##5555555555555555श्री आगमगुणमंजूषा -- १५६६ 5555555555555555555 虽听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听明明听听听听听听听听听听听听听听听明明明明明明明明明c On Education International 2010 03 DounteLRAHDOLeonly
SR No.002601
Book TitleAgam Guna Manjusha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGunsagarsuri
PublisherJina Goyam Guna Sarvoday Trust Mumbai
Publication Year1999
Total Pages1868
LanguagePrakrit, Gujarati, Hindi, English
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size85 MB
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