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________________ AGR9555555555555 (३७) ववहार छेयसुत्तं (8) उ. १.२ [] 555555555555xong PAGIR955555555555555555555555555555555555555555555555QoY पलिउंचिए पलिउंचियं आलोएमाणस्स आरूहेयव्वे सिया ।२१। जे भिक्खू बहुसोवि चाउम्मासियं वा बहुसोवि साइरेग० वा० आरूहियव्वे सिया '६२६।२२। बहवे पारिहारिया बहवे अपारिहारिया इच्छेज्जा एगयओ अभिनिसेज्जं वा अभिनिसीहियं वा चेइत्तए नो से कप्पइ थेरे अणापुच्छित्ता एगयओ अभिनिसेज्जं वा अभिनिसीहियं वा चेइत्तए, कप्पड़ ण्हं से थेरे आपुच्छित्ता एगयओ अभिनिसेज्जं वा अभिनिसीहियं वा चेइत्तए, थेरा य ण्हं से वियरेज्जा एवं ग्रहं कप्पइ एगयओ अभिनिसेज्जं वा अभिनिसीहियं वा चेइत्तए, थेरा य ण्हं से नो वियरेज्जा एवं ण्हं नो कप्पइ एगयओ अभिनिसेज्जं वा अभिनिसीहियं वा चेइत्तए, जोणं थेरेहिं अविइण्णं अभिनिसेनं वा अभिनिसीहियं वा चेएइ से सन्तरा छेए वा परिहारे वा '६९३१२३। परिहारकप्पट्ठिए भिक्खू बहिया थेराणं वेयावडियाए गच्छेज्जा, थेरा य से सरेज्जा कप्पइ से एगराइयाए पडिमाए जण्णं जण्णं दिसं अन्ने साहम्मिया विहरंति तण्णं तण्णं दिसं उवलित्तए, नो से कप्पइ तत्थ विहारवत्तियं वत्थए, कप्पइ से तत्थ कारणवत्तियं वत्थए, तंसिं च णं कारणंसि णिठ्ठियंसि परोक्एज्जा ‘वसाहि अज्जो ! एगरायं वा दुरायं वा' एवं से कप्पइ एगरायं वा दुरायं वा वत्थए, नो से कप्पइ एगराओ वा परं वसित्तए, जोणं तत्थ एग० दुरा० परं वसइ से सन्तरा छेए वा परिहारे वा।२४। परिहारकप्पट्ठिए भिक्खू बहिया थेराणं वेयावडियाए गच्छेज्जा, थेरा य से नो सरेज्जा, कप्पइ से निव्विसमाणस्स एगराइयाए पडिमाए जण्णं जण्णं दिसं जाव तत्थ एगरायाओ वा दुरायाओ परं वसइ से सन्तरा छेए वा परिहारे वा '७६७।२५। परिहारकप्पट्टिए भिक्खू बहिया थेराणं वेयावडियाए गच्छेज्जा थेरा य से सरेज्जा वा नो सरेज्जा वा कप्पइसे निविविसमाणस्स एगराइयाए जाव छेए वा परिहारे वा ।२६। भिक्खू य गणाओ अवक्कम एगल्लविहारपडिम उवसंपज्जित्ताणं विहरिज्जा, से य इच्छेज्जा दोच्चंपि तमेव गणं उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए, पुणो आलोएज्जा पुणो पडिक्कमेज्जा पुणो छेयपरिहारस्स उवठ्ठाएज्जा ।२७। एवं गणावच्छेइए वा ।२८। एवं आयरिए।२९। एवं उवज्झाए।३०। भिक्खू य गणाओ अवक्म पासत्थविहारे विहरेज्जा से य इच्छेज्जा दोच्वंपि तमेव गणं उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए, अत्थि याई थ से पुणो आलोएज्जा पुणो पडिक्कमेज्जा पुणो छेयपरिहारस्स उवठ्ठाएज्जा।३१। एवं अहाछन्दो कुसीलो ओसन्नो संसत्तो '८९१।३२। भिक्खू य गणाओ अवक्म परपासंडपडिमं उवसंपज्जित्ताणं विहरेज्जा परलिंगं च गेण्हेज्जा, से य इच्छेज्जा दोच्चंपि तमेव गणं उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए, नत्थि णं तस्स तप्पत्तियं केइ छेए वा परिहारे वा, नन्नत्थ एगाए आलोयणाए।३३। भिक्खू य गणाओ अवक्कम ओहावेज्जा, से य इच्छेज्जा दोच्चंपि तमेव गण उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए, नत्थि णं तस्स तप्पत्तियं केइ छेए वा परिहारे वा, नन्नत्थ एगाए सेहोवट्ठावणाए '९१४।३४। भिक्खू य अन्नयरं अकिच्चट्ठाणं पडिसेवित्ता इच्छेज्जा आलोएत्तए, जत्थेव अप्पणे आयरियउवज्झाए पासेज्जा कप्पइ से तस्संतिए आलोएत्तए वा पडिक्कमेत्तए वा निन्दित्तए वा गरहित्तए वा विउट्टित्तए वा विसोहित्तए वा अकरणयाएं अब्भउत्तए वा अहारिहं तवोकम्मं पायच्छित्तं पडिवेज्जेत्तए वा, नो चेव अप्पणो आयरियउवज्झाए पासेज्जा जत्थेव संभोइयं साहम्मियं बहुस्सुयं बज्झागमं पासेज्जा तस्संतिए कप्पइ से आलोएत्तए वा जाव पडिवजेत्तए वा, नो चेव णं संभोइयं साहम्मियं बहुस्सुयं बज्झागमं पासेज्जा जत्थेव अन्नसंभोइयं बहुस्सुयं बज्झागमं पासेज्जा कप्पइ से तस्संतिए आलोएत्तए वा जाव पडिवज्जेत्तए वा, नो चेव णं अन्नसंभोइयं० जत्थेव सारूवियं बहुस्सुयं बज्झागमं पासेज्जा कप्पइ से तस्संतिए आलोएत्तए वा०, नो चेव णं सारूवियं बहुस्सुयं बज्झागमं पासेज्जा जत्थेव समणोवासगं पच्छाकडं बहुस्सुयं बज्झागमं पासेज्जा जत्थेव सम्मभावियाइं चेइयाइं पासेज्जा कप्पइ से तस्संतिए आलोएत्तए वा जाव पायच्छित्तं पडिवज्जित्तए वा, नो चेव णं सम्मभावियाइं चेइयाई पासेज्जा बहिया गामस्स वा जाव संनिवेसस्स वा पाईणाभिमुहेण वा उदीणाभिमुहेण वा करयलपरिग्गहियं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कटु कप्पइ से एवं वएत्तए-एवइया मे अवराहा एवइक्खुत्तोय अहं अवरद्धो अरहताणं सिद्धाणं अन्तिए आलोएज्जा पडिक्कमेजा निन्देज्जा जाव पायच्छित्तं पडिवज्जेज्जासित्ति बेमि ९७३।३५ ** पढमो उद्देसओ १॥★★★ दो साहम्मिया एगयओ विहरंति, एगे तत्थ अन्नयरं अकिच्चठ्ठाणं पडिसेवित्ता आलोएज्जा, ठवणिज्ज ठवइत्ता करणिज्जं वेयावडियं ।१। दो साहम्मिया एगयओ विहरंति दोवि ते अन्नयरं अकिच्चठ्ठाण पडिसेवित्ता आलोएज्जा, एगं तत्थ कप्पागं ठवइत्ता अवसेसा निव्विसेज्जा, अह पच्छा सेऽवि निविसेज्जा।। बहवे साहम्मिया अगयओ विहरंति दोविते अन्नयरं अकिचट्ठाणं पडिसेविता आलोएज्जा, ठवणिज्जं 听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听明明明明明明明明明明贝乐乐中乐乐乐明明明明明C 999999999999श्री आगमगुणमंजूषा - १३५२ 19555555555555555555500RISIOR
SR No.002601
Book TitleAgam Guna Manjusha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGunsagarsuri
PublisherJina Goyam Guna Sarvoday Trust Mumbai
Publication Year1999
Total Pages1868
LanguagePrakrit, Gujarati, Hindi, English
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size85 MB
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