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ऐतिहासिक जैन काव्य-संग्रह
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और वकील मोहनलाल दलीचंद देसाइ बी० ए०, एलएल० बी० ने विद्वत्तापूर्ण विस्तृत प्रस्तावना लिखी है। इसकी उपयोगिताके विषयमें इतना ही कहना पर्याप्त होगा कि अल्पकालमें ही १००० प्रतियोंमें केवल ६० प्रतियां रहो हैं और इसका संस्कृत काव्य निर्माण होनेके साथ साथ इसके आधारसे बम्बईसे ५००० गुजराती ट्रेक्ट भी प्रकाशित हो गये हैं। अनेक विद्वानों
और पत्र-सम्पादकोंकी संख्याबद्ध सम्मतियोंमेंसे केवल "जैन ज्योति" के विद्वान सम्पादक शतावधानी श्रीधीरजलाल टोकरसी शाहको सम्मतिका कुछ अंश उद्धृत करते हैं
"सम्पूर्ण ग्रन्थ प्रमाण, उक्तिने आधार ग्रन्थो ना अवतरणो थी भरेलो छ। ऐतिहासिक ग्रन्थो केवी रोते रचावा जोइए तेनो आ एक नमूनो
छ। एम कही सकाय । अने आ नमूनो जोतां ऐतिहासिक ग्रन्थो केटलो परिश्रम मांगे छे ते स्पष्ट तरी आवे छे x x आवा ग्रन्थ नी. कीमत एक रुपियो जरूर सस्ती लेखाय ।"
८ ऐतिहासिक जैन काव्यसंग्रह-आपके कर-कमलोंमें विद्यमान है। . ९ संघपति सोमजी शाह-लेखक तेजमल बोथरा।।
' इसमें अहमदाबाद के सेठ शिवा, सोमजीके आदर्श साहमीवच्छल व धर्म कार्योंका वर्णन बहुत ही रोचक और सुन्दर शैलीसे अंकित है।
निकट भविष्यमें ही खरतरगच्छ गुर्वावली अनुवाद :एवं श्रीजिनदत्तमुरि चरित्र आदि अनेक ऐतिहासिक ग्रन्थ प्रकाशित होंगे।
समाप्त
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