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________________ कठिन शब्द-कोष ४३६ mewwwam प. कथा कय कणय ३८७ कनक, सोना,गेहूं काप्या ४१२ काटे कणयाचल ३५ कनकाचल, मेरु | कामगवी१२३,२५७ कामधेनु कथीपानइ ५३ वस्त्रविशेष, गुरुके | कामकुंभोपम ८ कामकंभके चलनेके समय पैर समान धरनेके लिये वस्त्र कामित ९५,१२३ इच्छित बिछाया जाता है कारवइ ३८७ कराता है कदाग्रही ३१६ दुराग्रही कार्तस्वर २६४ स्वर्ण ! कप्पड ३५३ कपड़ा कित्ति ३८५ कीति कप्पयरु ४० कल्पतरु,कल्पवृक्ष किन्न १७ कृष्ण कप्पतरो १७ " " किवाणि ३२ कृपाण कप्पम् १ कल्प, कथा किसण १ कृष्ण पक्ष कमला ३५४ लक्ष्मी किंपि ३६७,३७९ किमपि, कुछ २१५ कृतः किया किलिटु ३४० क्लिष्ट कम्मपयडी२६६,२७३कर्म प्रकृति कीलइ ११३ कीली करट ३८ हाथीका गंडस्थल कुग्गह १६ कुग्रह, दुष्ट ग्रह करटि ३८ हाथी ३९१ कुक्षि करतउ ३९७ करता हुआ २८४ मिथ्या कुणंति कल्याणु ३७१ कल्याण १ कहना कुंकउती कवराव ३१० कविराज १७ कंकुम पत्रिका १ काव्य ३११ कोने कव्वट ३ कवित्त, काव्य केदारा १०४ राग विशेष कषाय ३५३ क्रोध, मान, माया केरउ १०४ का लोभ (४ संसार | केसूडा ३५१ केसूके फूल वृद्धि हेतु) कोटीर ३६१ श्रेष्ट, अग्रणी कसबोको १५७ जड़ाऊ, चित्रित । कोड ३११ कौतुक कहर ४०७ मौत कोडि ८७,९९ कोटि कंख ६४ चिन्ता, दुविधा कोडीधज ४१६ करोड़पतिः काउसग्ग ३२९ कायोत्सर्ग कोतिल २९३ कोतल तेज घोड़े कागल १३३ कागज | कंचूअउ १५७ कंचकी कुच्छि कव्व कुंट Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002600
Book TitleAetihasik Jain Kavya Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherShankardas Shubhairaj Nahta Calcutta
Publication Year
Total Pages700
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size10 MB
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