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________________ ४३६ ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह अमारि १०२ अहिंसा। असराल ९० वक्र, जहरीला अमी ४१० अमृत । असिणि १८० अश्विन अमीझरउ १७० अमृत झरनेवाले असिय ३२ अशित, भक्षित अमूलिक ३३७ अनमोल। असिव ५६ अमङ्गल अयरावइ ३२ ऐरावत, हाथी अहिनाण ३४५ अभिज्ञान, अयाण ४० अज्ञान, मूर्ख पहचान, अरगचा ८४ अरगजा निशानी। अरचा १९८ पूजा अहियासने ३२९ वेदते, अनुभवते अररि ३२ अरेरे | अहिठाण अधिष्ठान अर्भक २७१ बालक अंग १८३ जैन शास्त्र अलजयो २९४ मनोरथ अंगोल अलजो ८७ विरहस्मरण, अंबाड़ी ३४७ हाथीकी अंबारी ओर्लेआना (हौदा) अलिअ ८६ अलीक,अप्रिय, अंबाएवि ३० अम्बा देवी बुरा । अलीय १०० अलीक,मिथ्या अवगाहए ६ अवगाहनकरना ३० आयुष्य अवडा १७ अयोध्या | आउखो २५६, ४०९ आयुष्य अवदात १७०,२६९ गुण, चरित्र, | आएसि ३८७ आदेश निर्मल । आकरा १४८ अत्यन्त कठिन अवधारो २९९ स्वीकार करो आखडी ३१६ निषेधात्मक अवयरिउ २२ अवतार लिया प्रतिज्ञा, व्रत अवरोह ३० अन्तःपुर,घेरा आखातीजइ ३५७ अक्षयतृतीया प्रतिबन्ध, आगर ८ १ घर, निवास रोकना। आण,आणा३७०,३७१ आज्ञा अवल ३३ अबला, नारी आणदिणि १ आनन्ददायक(में) अवहरइ १ दूर करता है। आदेशकार १०६ आज्ञाकारी अविहड़ १७८ अटल, अविहत आनुपूरवी १९६ कर्मका एक भेद, असमानो ८४ असमान अनुक्रम आ आउखउ Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org,
SR No.002600
Book TitleAetihasik Jain Kavya Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherShankardas Shubhairaj Nahta Calcutta
Publication Year
Total Pages700
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size10 MB
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