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________________ श्रीजिनेश्वरसूरि संयमश्री विवाह वर्णन रास जासु पसाइण वं छेउ४९ सिज्झए, ५० वलिवन संसारंमि पड़िज्जए५१ ॥ १० ॥ इहु निसु विणु 'अंबड़' वयणु, पभणइ माया संभलि लाडण । तुहु नवि५२ जाणइ बालउ भोलड, ३७६ इहु५३ ऋतु होइसइ५४ खरउ५५ दुहेल ।। ११ ॥ मेरु धरेविणु५६ निय भुयदं डिहि, ५७ जलहि तरेवउ५८ अप्पुणि बाह हि५९ । हिंडेवड असिधार६६० उय (?) रि, लोह चिणा चावेत्रा इणिपरि ||१२|| ता तुहु६१ रहि घर कहियइ लागि, जं तुह भावइ६२ वच्छ६३ तु मागि । किंपि न भावइ६४ विणु संजमसिरि, माइ६५ भणइ जं रूड़उ६६ तं करि ।। १३ ॥ घातः — भणइ 'अंबडु' भणइ 'अंबडु' एहु संसारु । गुरु दुक्ख भरिपूरियड, ६७ माइ माइ ता वेगि मिल्हिसु६८ । परणेविणु६६ दिक्खसिरि, ७० विषिह भंग हउ सुक्ख माणिसु । माइ७१ भणइ दुक्करु चरणु, तुहु पुणि अइ सुकुमालु । कुमर भणइ दुक्करह७२ विगु, नहु छलिय३७३ कलिकालु७४ ॥ १४ ॥ २९a b वंछिओ, ५०० सिज्झए b सीझए, ५१० पड़िज्जय b पड़ीजए, ५२४ तुह b तुहुं, ५३० एहु, १४b होस३, ० होसए ५०० खरओ दुहेलओ, ५६b c धरेवउ, ५७३ भूयदंडहि, ५८४ तरेवओ, १९४ अप्पण बाहर C आपुण बाहुहि, ६०० धारा उयरि c धारहं उवरे । ६१० तु तुहुं, ६२० भाषि, ६३९ वंछित ६४० भावए, ६५० माय, ६६b.cरूयड़उं, ६७b भरिपूरिवड, ६८० मल्हिसु मिल्हिमु, ६९b परिणवा, ७०० दिक्खसिरे, ७१० माय, ७२० दुक्कर, ७३० छलिइ, ७४a किलिकालु, Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002600
Book TitleAetihasik Jain Kavya Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherShankardas Shubhairaj Nahta Calcutta
Publication Year
Total Pages700
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size10 MB
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