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श्रीजिन सौभाग्य सूरि भास श्रीजिन सौभाग्यसूरि भास।
ढाल-घोड़ी तो आइ थांरा देसमें एहनी देशी 'करणा दे' कूखे ऊपना, सद्गुरुजी पिता 'करमचंद' (वि)ख्यात हो । गच्छ नायक 'सौभाग्यसूरि' हो सद्गुरुजी आ० ॥१॥ श्री जिनहर्ष' पाटोधरु सद्गुरुजी, श्री जिनसौभाग्य' सूर हो।।२।।गक चीठी घातण चालीया सद्गुरुजी, थे वचनां रां सूर हो ।।ग०॥३॥ उवां तो कूड़ कपट कियो सद्गुरुजी,थे कूड़कपट सुं हुवा दूर हो।।ग०४ 'बीकानेर' पधारज्यो सद्गुरुजी, थांसं कौल कियो ‘रतनेश'हो।ग०५ थांका पुण्य थांके खनै सद्गुरुजी, पुण्य प्रबल जग मांहि हो।ग०॥६॥ 'बीकानेर' पधारिया सद्गुरुजी, थांसुं एकांत किया 'रतनेश' हो।।ग०७. भलाइ विराजो पारियै सद्गुरुजी, थे म्हारा गुरुदेव हो ।ग०॥८॥ तखत दियो गुरु वचन थी सद्गुरुजी, श्रीसंघ मिल रतनेश' हो।।ग०६ नोबतखाना बाजिया सद्गुरुजी, बाज्या मङ्गल तूर हो ।ग०॥१०॥ गोत्र 'खजानची' दीपता सद्गुरुजी, 'लालचंद' बुधवान हो।ग०।।११।। महोच्छव कीनो अति भलो सद्गुरुजी, दोनो अढलक दान हो।ग०१२।। कोड़ वरस लगै पालज्यो सद्गुरुजी, बड़ खरतर गच्छ राज हो।ग०१३ 'कोठारी' बंश दीपावज्यो सद्गुरुजी, ज्यां लंग सूरज चंद हो ।।ग१४ बीजानै वादां नहीं सद्गुरुजी, थे म्हारा गच्छराज हो ॥ग०॥१५।। संवत् 'अढारै बाणवे' सद्गुरुजी, 'सुदसातम' गुरुवार' हो।ग॥१६।। 'मिगसर' पाट विराजिया सद्गुरुजी, खूब थया गहगाट हो।।ग०॥१७॥
॥ इति श्री भास सम्पूर्णम् ॥
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