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श्री युग-प्रधान निर्वाण रास
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* कवि समयप्रमोद कृत * ॥ श्रीयुगमकान निर्माण रास
दोहा राग (आसावरी) गुणनिधान गुरु पाय नमि, वाग वाणि अनुसार (आधारि)।
युगप्रधान निर्वाण नी, महिमा कहेिसुं विचार ॥ १ ॥ युगप्रधान जंगम यति, गिरुआ गुणे गम्भीर ।
श्री जिनचन्द सुरिन्दवर, धुरि धोरी ध्रम धीर ॥ २ ॥ संवत पनर पंचाणूयइ, रीहड़ कुलि अवतार ।
__ श्रीवन्त सिरिया दे धर्यउ, सुत सुरताण कुमार ॥ ३ ॥ संवत सोल चड़ोत्तरइ, श्री जिनमाणिक सूरि ।
सइ हथि संयम आदर्यउ, मोटइ महत पडूरि ॥ ४ ॥ महिपति जेसलमेरु नइ, थाप्या राउल माल ।
संवत सोल बारोत्तरइ, शत्रु तणइ सिर साल ।। ५ ।। ढाल (१) राग जयतसिरि
(करजोड़ी आगल रही एहनी ढाल) आज बधावौ संघ मई, दिन दिन बधते' वानइ रे ।
पूज्य प्रताप बाधइ घणौ, दुश्मन कीधा कानइ रे ॥६॥ आ० १ गौतम २ देवोनह ३ बाधइ ४ बधइ
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