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श्रीमजिनपतिसूरिणां गीतम् सलहीय जय "नरपति"इणि नामिहि, क्रमिक्रमि वाधइ ए तातघरे ॥१०॥ बार अढ़ारह ए वोर जिगालए, फागुण धुरि दसमीय पवरे । वरीय संजमसिरे भीमपल्लीय पुरे, नांदि ठविय जिणचन्दसूरे । ११ । पढय जिणागम पमुह बिजावलोय, दरसणि त्रिभुवनु मोहीऊ ए। कमल दलावल देह सुकोमल, गुणमणि मन्दिर सोहीऊ ए । १२ । रूव कला गण गुण रयणायर, तिहूअण नयण आणंदयंतो। महीयले सोहइ ए भविक जन मोहइ ए, चालइ ए मोह तिमर हरंतो।१३ बार तेवीसइ ए नयरि बबेरइए, कातिक सुदि दिण तेरसी ए । जाणीय जयदेव सूरिहिं थापिय, तिहुअण जण मण उल्हसी ए ।१४। सिरि जिणचन्दह तणय सुपाटिहि, उवसम रस भर पूरीयउ ए । सुवहीय चारु विहार करतंउ, अजयमेरे नयरि सम्मोसरिउ ए ।१५। पामीउ जेतु छत्रीस विवादिहिं, जयसिंह पुहवीय परषदइ ए । बोहिय पुहविय पमुह नरिंदह, निसुणीय वयणि जिण ध्रम्मु करइ ए।१६। दीखिय बहुशीस पयट्ठिय बहुविह बिंब, थापीय रीति खरतर तणोए । प्रभ पय बेवइ ए निसि दिन सेवइ ए, देवी जालंधर रंजिवी.ए ।१७। सुललित वाणि वखाण करंतउ, धवल असाढ सतहत्तरइ ए। मन सुह झाणिहिं दसमिय दिवसिंहिं, पहुतउ सूरि अमरा पुरी ए ।१८। चरण कमल नरवर सुर सेवइ, मङ्गल केलि निवास हुए। थूमह रयण पालणपुरे नयरिहिं, तिहुअण पुरइ ए आस हु ए।१६। लीणउ कमलेहि भमर जिम "भत्तउ", पाय कमल पणमिय कहइ । समरइ ए जे नर नारि निरंतर, तिहां घरे रिद्धि नवनिहि लहइ ए।२०।
इति श्रीमजिनपति सूरीणां गीतम् ।
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