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श्रीजिनपतिसूरि धवलगीतम् बार त्रेवीसए नयरि बब्बेरए, कातिय सुदी दिन तेरसीए । श्री जिणचन्दसूरि पाटि संठाविउ, श्रीजयदेव सूरि आयरीए ॥६॥ गुरुय नामेण जिनपति सूरि उदयउ, चन्द्र कुलंबर चन्दलउ ए। विहरए सयल देसंमि गुण भरिउ,समइ सरोरह (? वर) हंसलउ ए।।१०।। पेखि किरि रूव लावन्न गुण आयार, जण जण जंपए मनि धरी ए। सिरि माल्हूय कुले कमल दिवायर, वादीय गय घड केसरी ए ॥११॥ पामीउ जेत्रु छतीस विवादिहि, जयसिंह पहविय परषद (इ) ए। बोहिय पुहविय पमुह नरिन्दह, जासु वयणि जिण आदर(इ)ए ॥१२॥ दीखिय बहु सीस पयट्ठिय बहु बिब, थापिय रीति खरतर तणी ए। जासु पय पणमए सासणा देवि, देवि जालंधरा रंजिवी ए ॥१३॥ अह मरुकोटहि नेमुचन्द निवसए,(गुरु)गुरु देखि मनु नविगम(इ)ए। जासु मनि निवसए खरउ जिण धम्मु, खरउ आचारि गुरु
मनि गम (इ) ए ॥१४॥ तायणु सोपुरि(पुरे) नयरि गामागरे, गुरु २ चि(वि?) रिय जोवइ अपारे भमियउ बारह वरिस भण्डारिय, सुगुरु देखतउ समय सारे ॥१५॥ अह अवर वासरे पट्टणे पुरवरे, श्रीयजिनपतिसूरि पेखि करे । तउ मनि मानिय सयणजण आणिय, आदिरीयउ गुरु हरिस भरे ।१६॥ तासु अंगोल मुनियपय जोगि, जाणिय सयहत्थि दीखि करे।। तयण जिण सासण पभाव पयडंतउ, पहुतउ पाल्हणपुर नयरे ॥१७॥ सुललित वाणि वखाणु करंतउ, भविय बोहंतउ विविह परे । साह(?हू)सावय जण जस्स सेवा करइ, सेव सारइसुर सुपरि परे॥१८॥ अन्नं दिगंतरे बार सतहोतरे, मास असाढि जिण अणसरी ए। मन्न सुह झाणहि सिय दसमी दिवसहि, पहुतउ सूरि अमरापुरी ए।१६ एहु श्री जिणपति सूरि गुरु जुगपवरु, साह "रयण" इम संथुणइ ए । समरइ जे नर नारि निरंतर, तहा घर नविनिधि संपज(इ) ए ॥२०॥
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