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(पाली), लघु आचार्य, भावहर्षी और लखनऊ वालोंके पास खरतरगच्छका बहुतसा ऐतिहासिक साहित्य प्राप्त होनेकी सम्भावना है।
हमारे संग्रहमें इधरमें और भी कई ऐतिहासिक काव्य उपलब्ध हुए हैं जो यथावकाश प्रकट किये जायेंगे। प्रस्तुत ग्रन्थको उपयोगिता
यह ग्रन्थ दृष्टिकोणद्वयसे विशेष उपयोगी है । एक तो ऐतिहासिक और दूसरा भाषासाहित्य । कतिपय साधारण काव्योंके अतिरिक्त प्रायः सभी काव्य ऐतिहासिक दृष्टिसे संग्रह किये हैं, गुण वर्णनात्मक अनेक गीत, गहूलिये, अष्टक प्रभृति हमारे संग्रहमें है, परन्तु उनमेंसे ऐतिहासिक काव्योंको ही चुन चुनकर प्रस्तुत संग्रहमें स्थान दिया गया है। अद्यावधि प्रकाशित संग्रहोंसे भाषा साहित्यकी दृष्टिसे यह संग्रह सर्वाधिक उपयोगी है; क्योंकि इसमें बारहवीं शताब्दीसे लेकर बीसवीं शताब्दी तक लगभग ८०० वर्षोंके, प्रत्येक शताब्दीके थोड़े बहुत काव्य अवश्य संग्रहीत हैं ।* जिनसे भाषाविज्ञानके अभ्यासियोंको शताब्दीवार भाषाओंके अतिरिक्त कई प्रान्तीय भाषाओंका भी अच्छा ज्ञान हो सकता है। कतिपय काव्य हिन्दी, कई राजस्थानी और कुछ गुजराती प्रभृति हैं। अपभ्रंश भाषाके लिये तो यह संग्रह विशेष महत्वका ही है, किन्तु नमूनेके तौरपर कुछ संस्कृत और प्राकृतके काव्य भी दे दिये गये हैं।
काव्यकी दृष्टिसे जिनेश्वरसूरि, जिनोदयसूरि, जिनकुशलसूरि, जिनपतिसूरि, जिनराजसूरि, विजयसिंहसूरि आदिके रास, विवाहला
* शताब्दीवार काव्योंका संक्षिप्त वर्गीकरण अन्य स्थानमें मुद्रित है।
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