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परमाणुवाद श्रण का परिणाम सिद्ध किया। तब से पानी मल द्रव्य है यह धारणा मिट गई । पानी का स्कन्ध अर्थात् सूक्ष्माति-सूक्ष्म करण हाइड्रोजन के दो परमाणु और आक्सीजन के एक परमाणु से मिलकर बना है । पदार्थ विज्ञान के क्षेत्र में जब नई खोज प्रारम्भ हुई, उस समय तक प्राचीन यूनानी विद्वानों की कृतियाँ योरप में श्रद्धा की दृष्टि से देखी जाने लगी थी। गैलीलियो, न्युटन, वोयल आदि डेमोक्रेटस के परमाणुवाद को प्रादर की दृष्टि से देखते थे। जॉनडाल्टन ने पहले-पहल मूल और मिश्रित तत्त्व के अन्तर को साफ साफ बतलाया । उसने सिद्ध किया कि मिश्रित तत्त्व वे हैं जो एक या अनेक मूल तत्त्वों से मिल कर बने हैं । मूल तत्त्व अमिश्रित हैं । साथ साथ यह भी सिद्ध किया कि भिन्न-भिन्न तत्त्वों के परमाणु भार में भिन्नता रखते हैं और यदि तत्त्वों को उतने ही परिमारण में मिलाया जाये तो सर्वदा एक सा ही परिणाम रहेगा। इस प्रकार मौलिक तत्त्वों की खोज का द्वार खुला और उन्नीसवीं सदी के प्रारम्भ तक उनकी संख्या तीस हो गई।
इन अन्वेषणों में हाईड्रोजन के परमाणु को सबसे छोटा देखकर पहले यह समझा गया था कि यह एक ही पदार्थ सब तत्त्वों का मूल है। किन्तु यह धारणा अधिक दिनों तक नहीं ठहर सकी। हाईड्रोजन का परमाणु जब अधिक बारीकी से तौला गया तो स्पष्ट हो गया कि यह सभी पदार्थों का मूल तत्त्व नहीं हो सकता। मौलिक द्रव्यों की परिभाषा मानी गई थी, ऐसे द्रव्य जो किसी भी सम्मिश्रण का परिरणाम न हों, जो मूलभूत परमाणुओं के ही विभिन्न प्रकार हों। अब तक वह धारणा जो पाँच भूतों से प्रारम्भ हुई थी, मौलिक तत्त्वों का रूप लेकर क्रमशः बढ़ती हुई ६२ की सख्या तक पहुँच गई है। वे ६२ तत्त्व' इस प्रकार हैं१-हाइड्रोजन
२-हेलियम् ३-लिथियम्
४-वेरिलियम् ५-बोरान्
६-कार्बन ७-नाइट्रोजन
८-ऑक्सीजन 8-फलोरिन्
१०-न्योन् ११-सोडियम्
१२-मेग्नेसियम् १३-अल्मोनियम्
१४-सिलिकोन् १५-फास्फोरस
१६-गंधक १७–क्लोरिन्
१८-अर्गोन १६-पोटास
२०–केलसियम् २१–स्केडियम्
२२-टीटानियम् . १. मौलिक तत्त्वों की संख्या अब ६२ से १०३ तक पहुंच गई है।
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