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परमाणुवाद अणु और परमाणु की चर्चाएँ विश्व-विख्यात प्रयोगशालाओं से लेकर मजदूर और किसान की झोंपड़ी तक पहुँच चुकी हैं। आए दिन होने वाले अणु बम और उद्जन बमों के परीक्षण अणु सामर्थ्य को प्रलयंकारी महेश के रूप में उपस्थित कर रहे हैं । परमाणुवाद की प्रगति ने आज समस्त विश्व को उसकी विभिन्न शक्ति, स्वभाव, सामर्थ्य और उसके आदि इतिहास से अभिज्ञ होने के लिए अत्यन्त जिज्ञासाशील बना दिया है । विज्ञान के क्षेत्र में परमाण कब आया ? कौन उसका आविष्कर्ता था ? और अब तक विकास की किस मंजिल पर पहुँचा तथा दर्शन के क्षेत्र में सहस्रों वर्ष पूर्व से लेकर अब तक अणु, परमारण और पुद्गल (Matter) के विषय में कैसा चिन्तन व निदिध्यासन चला; इन दोनों पक्षों का युगपत् प्रस्तुतीकरण अपना एक विशेष महत्त्व रखेगा।
दर्शन पक्ष हालांकि पाश्चात्य देशों में यह एक निश्चित धारणा है कि परमाणु सम्बन्धी पहली बात डेमोक्रेट्स (ईस्वी पूर्व ४६०-३७०) ने कही। पर भारतवर्ष में परमाण का इतिहास इससे भी सैंकड़ों वर्ष पूर्व का मिलता है। वैसे वैशेषिक दर्शन के अतिरिक्त अन्य वैदिक दर्शनों में परमाणु सम्बन्धी कोई विशेष समुल्लेख नहीं मिलता। जैन दर्शन में परमाणु तथा पुद्गल के विषय में सुव्यवस्थित विवेचन मिलता है। ____ अपने शास्त्रीय आधार से जैन धर्म शाश्वत है। प्रत्येक अवसर्पिणी और उत्सर्पिणी में चौबीस तीर्थकर होते हैं। ऐतिहासिक दृष्टि भी अब जैन धर्म के बारे में आगे बढ़ी है-"जैन धर्म, वैदिक और बौद्ध धर्म से प्राचीन है।" इतिहास के क्षेत्र में यह तो एक सर्वसम्मत तथ्य हो ही चुका है कि जैन धर्म प्रागैतिहासिक धर्म है। भारतवर्ष का जितना प्राचीन इतिहास जो कि अधिक से अधिक पाँच हजार वर्षों तक का मिला है;
1. It is older than Hinduism or Budhism.
-A History of philosophical system p. 6
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