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जैन दर्शन और आधुनिक विज्ञान अपने सूर्य के प्रति निकट पाया । जिस प्रकार हमारी पृथ्वी पर सूर्य और चन्द्र ज्वार पैदा करते हैं, उस आगन्तुक तारा ने भी सूर्य की सतह पर ज्वार पैदा किये होंगे; लेकिन वे ज्वार हमारे समुद्रों में होने वाले छोटे ज्वारों से सर्वथा भिन्न रहे होंगे । एक भयंकर लहर सूर्य के समचे सतह पर फैल गई होगी और ज्यों-ज्यों वह तारा निकट आया वह लहर एक कल्पनातीत ऊँचे पर्वत का रूप लेती गई होगी; तथा उस तारा के दूर होने के पूर्व ही उसका ज्वार सम्बन्धी खिचाव इतना बढ़ा होगा कि उस बढ़ते हुए पर्वत के टुकड़े-टुकड़े हो गये होंगे और उस पर्वत ने अपने छोटे टुकड़ों को ऐसे फेंक दिया होगा जैसे एक समुद्र की लहरें जलकरणों को फेंकती हैं। ये छोटे टुकड़े अपने जनक सूर्य के चारों ओर घूमने लगे । ये ही हमारे छोटे और बड़े ग्रह हैं जिनमें हमारी पृथ्वी भी एक है।"
___ यह हा पृथ्वी की उत्पत्ति का वैज्ञानिक विचार । इससे आगे बताया जाता है कि पृथ्वी जिस समय सूर्य से अलग हुई उस समय यह नारंगी के समान न होकर सेव के समान कुछ-कुछ नुकीली थी। तीव्र परिभ्रमण में वह नुकीला भाग टूटा और पृथ्वी की परिक्रमा करने लगा। यह हमारा चन्द्रमा है जिससे हम सूर्य की तरह ही परिचित हैं। पर नवीनतम विज्ञान में परिक्रमा का इतिहास यहीं समाप्त नहीं होता। चन्द्रमा पृथ्वी की और उसे साथ लिये पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करती है; किन्तु सर्य स्वयं स्थिर नहीं है। वह भी पृथ्वी आदि अपने समस्त ग्रहों को साथ लिये किसी अन्य महाग्रह की परिक्रमा करता है और वह फिर किसी अन्य महाग्रह की। पृथ्वी पर उस समय तक इतनी उरणता थी कि उसका समस्त भाग वाष्पमय हो रहा था। धीरे-धीरे वह वाष्पगोला ठण्डा और ठोस होता गया। एक समय ऐसा आया कि उस गोले के अन्दर का अधिक ठोस भाग अपने बाहरी हलके व पतले भाग से पृथक होने लगा। आगे चलकर अन्दर का भाग और अधिक ठोस और बाहरी खोल और भी
tides on the earth, so this second star must have raised tides on the surface of the sun. But they would be very different from the puny tides which the small mass of the moon raises in our oceans; a huge tidal wave must have travelled over the surface of the sun, ultimately forming a mountain of prodigious height, which would rise ever higher and higher as the cause of the disturbance came nearer and nearer. And, before the second star began to recede, its ideal pull had become so powerful that this mountain was torn to pieces and threw off small fragments of itself; much as the crest of a wave throws off spray. These small fragments have been circulating around their parent sun ever since. They are the planets, great and small, of which our earth is one.
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