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मात्म-अस्तित्व
१०५ अवसर मिलेगा कि दर्शन की पृष्ठभूमि इतनी कच्ची नहीं जितनी कि विज्ञान की चकाचौंध में उसने समझी थी। भारतीय प्राप्त-पूरुषों ने जो खोजा, जो पाया, जो कहा; उसके नीचे सत्य व प्रामाणिकता का कोई शाश्वत आधार था । निस्सन्देह आज यह जड़ पर चेतन की, विज्ञान पर दर्शन की व पश्चिम पर पूर्व की सर्वमान्य विजय है।
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