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[ नियुक्तिसंग्रहः :: (१) आवश्यकनियुक्तिः
गोयमाई सामाइयं तु कि कारणं निसामिति ? । णाणस्स तं तु सुन्दरमंगुलभावाण उवलद्धी ।। ४५ ॥ होइ पवित्तिनिवित्ती संजमतवपाव-कम्मप्रगहणं। कम्मविवेगो य तहा कारणमसरीरया चेव ॥४६ ।। कम्मविवेगो असरीरया य असरीरया अणावाहा । होअणबाहनिमित्तं अवेयणमणाउलो निरुओ ।। ४७ ।। नीरुयत्ताए प्रयलो अयलत्ताए य सासओ होइ । सासयभाव-मुवगतो अव्वाबाहं सुहं लहइ ॥ ४८ ।।
पच्चय-णिक्खेवो खलु दव्वंमी तत्तमासगाइओ । 10 भावंमि ओहिमाई तिविहो पगयं तु भावेणं ।। ४९ ।।
केवलणाणित्ति अहं अरिहा सामाइयं परिकहेइ । तेसिपि पच्चो खलु सम्वण्ण तो निसामिति ।। ७५० ।। नाम ठवणा दविए सरिसे सामण्णलक्खणागारे ।
गइरागइ णाणत्ती निमित्त उपाय विगमे य ॥ ५१ ।। 15 वीरियभावे य तहा लक्खणमेयं समासओ भणियं ।
अहवावि भावलक्खण चउविहं सद्दइणमाई ।। ५२ ।। सद्दहण जाणणा खलु विरती मीसा य लक्खणं कहए। तेऽवि णिसामिति तहा चउलक्खणसंजुयं चेव ।। ५३ ।।
णेगमसंगह-ववहार-उज्जुसुए चेव होइ बोद्धन्वे । 20 सद्दे य समभिरूढे एवंभूए य मूलणया ।। ५४ ।।
णेगेहि माणेहि मिण इत्ती गमस्स गेरुत्ती । सेसाणंपि णयाणं लक्खणमिणमो सुमेह वोच्छं ।। ५५ ॥
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