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________________ ४० ] [ नियुक्तिसंग्रहः :: (१) आवश्यकनियुक्तिः पढमो धणूणऽसीई सत्तरि सट्ठी य पन्न पणयाला । अउणत्तीसं च धणू छन्वीस सोलसा दसेव ।। ३ ।। बलदेववासुदेवा अट्ठव हवंति गोयमसगुत्ता । नारायणपउमा पुण कासवगुत्ता मुअव्वा ॥४।। 5 चउरासोई बिसत्तरि सट्ठी तीसा य दस य लक्खाई। पण्णटि सहस्साई छप्पण्णा बारसेगं च ।। ४०५ ।। पंचासीई पन्नत्तरी अ पन्नट्टि पंचवन्ना य । सत्तरस सयसहस्सा पंचमए प्राउअं होइ ।। ६ ॥ पंचासीइ सहस्सा पण्णट्ठी तह य चेव पण्णरस । 10 बारस सयाई आउं बलदेवाणं जहासंखं ॥ ७ ॥ पोप्रण बारवइतिगं अस्सपुरं तह य होइ चक्कपुरं। . वाणारसि रायगिहं अपच्छिमो जामो महुराए ॥ ८ ॥ मिगावई उमा चेव पहवी सीग्रा य अम्मया। लच्छीमई सेसमई केगमई देवई इअ ।।६।। 15 भह सुभद्दा सुप्पभ सुदंसणा विजय वेजयंती प्र। तह य जयंती अपराजिआ य तह रोहिणी चेव ।। ४१० ॥ हवइ पयावइ बंभो रुद्दो सोमो सिवो महसिवो य । अग्गिसोहे अ दसरहे नवमे मणिए अ वसुदेवे ।। ११ ॥ परिआनो पवज्जाऽभावाओ नस्थि वासुदेवाणं । होइ बलाणं सो पुरण पढमऽणुओगाप्रो नायवो ।। १२ ।। वीसभूई पव्वइए धणदत्त समुद्ददत्त सेवाले । पिअमित्त ललिअमित्त पुणव्वसू गंगदत्ते अ॥१॥ 20 Jain Education International 2010_04 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002598
Book TitleNiryukti Sangraha
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami
AuthorJinendrasuri
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1989
Total Pages624
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Spiritual
File Size19 MB
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