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[नियुक्तिसंग्रहः :: (७) श्री सूत्राकृताङ्गनियुक्तिः
दव्वे किरिएजणया य पयोगुवायकरणिज्जसमुदाणे । इरियावहसंमत्ते सम्मामिच्छा य मिच्छत्ते ॥ १६६ ।। नाम ठवणा दविए खेत्तेऽद्धा उड्ढ उवरती वसही।
संजमपग्गहजोहे अचलगणण संधणा भावे ॥ १६७ ।। 5 समुदाणियाणिह तओ संमपउत्ते य भावठाणमि ।
किरियाहिं पुरिस पावाइए उ सम्वे परिक्खेज्जा ।। १६८ ।। ॥२-३ अथ तृतीयाहारपरिज्ञाध्ययन-नियुक्तिः॥ नामंठवणादविए खेत्ते भावे य होति बोद्धव्वो।
एसो खलु प्राहारे निक्खेवो होइ पंचविहो ॥ १६६ ।। 10 दवे सच्चित्तादी खेते नगरस्स जणवनो होइ ।
मावाहारो तिविहो ओए लोमे य पक्खेवे ।। १७०।। सरीरेणोयाहारो तयाय फासेण लोमआहारो। पक्खेवाहारो पुण कावलिओ होइ नायवो ॥ १७१ ॥
ओयाहारा जीवा सम्वे अप्पजत्तगा मुणेयव्वा । 15 पजत्तगा य लोमे पक्खेवे होइ (होंति) नायव्वा ।। १७२ ।।
एगिदियदेवाणं नेरइयाणं च नस्थि पक्खेवो । सेसाणं पक्खेवो संसारस्थाण जीवाणं ।। १७३ ।। एक्कं च दो व समए तिन्नि व समए मुहुत्तमद्धं वा ।
सादीयमनिहणं पुण कालमणाहारगा जीवा ।। १७४ ।। 20 एक्कं च दो व समए केवलिपरिवज्जिया अणाहारा ।
मंथमि दोणि लोए य पूरिए तिन्नि समया उ ।। १७५ ।।
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