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[ नियुक्तिसंग्रहः :: (२) श्रीमती ओघनियुक्तिः
तिन्नेव य पच्छागा रयहरणं चेव होइ मुहपत्ती ।। एसो दुवालसविहो उवही जिणकप्पियाणं तु ॥ ६९ ।। एए चेव दुवालस मत्तग अइरेग चोलपट्टो य।
एसो चउद्दसविहो उवही पुण थेरकप्पम्मि ।। ६७० ।। 5 जिणा बारसरूवाई, थेरा चउद्दसरूविणो ।
अज्जाणं पन्नवीसं तु. अग्रो उड्ड उवग्गहो ।।७१ ॥ तिन्नेव य पच्छागा पडिग्गहो चेव होइ उक्कोसो। गुच्छग पत्तगठवणं मुहणंतग केसरि जहन्नो ।। ७२ ।
पडलाइं रयत्ताणं पत्ताबंधो य चोलपट्टो य। 10 रयहरण मत्तओऽवि य थेराणं छविहो मझो ॥ ७३ ।।
पत्तं पत्ताबंधो पायटुवणं च पायकेसरिया । पडलाइं रयत्ताणं च गोच्छओ पायनिज्जोगो ॥ ७४ ।। तिन्नेव य पच्छागा रयहरणं चेव होइ मुहपत्ती।
तत्तो य मत्तगो खलु च उदसमो कमढगो चेव ।। ७५ ।। 15 उग्गह गंतगपट्टो अद्धोरुग चलणिया य बोद्धव्वा ।
अभितर बाहिरियं सणियं तह कंचुगे चेवं ।। ७६ ।। उक्कच्छिय वेकच्छी संघाडी चेव खंधकरणी य । ओहोवहिमि एए अज्जाणं पन्नवीसं तु ।। ७७ ।।
उक्कोसो अटविहो मज्झिमओ होइ तेरसविहो उ । 20 जहन्नो चउविहोवि य तेण परमुवग्गहं जाण ॥ ७८ ।।
एगं पायं जिणकप्पियाण थेराण मत्तओ बिइयो। एवं गणणपमाणं पमाणमाणं अग्रो वुच्छं ॥ ७९ ॥
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